समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 26 अप्रैल,20 ) । कोरोना जैसे महामारी के बीच समस्तीपुर जिले के सरैया पुल के पास विलुप्त होता गिद्ध कई दिनों से इस इलाके में लोगों को देखने को मिल रहा है। गुरुवार की रात आयी तेज़ आंधी और बारिश के बीच एक गिद्ध जख्मी हो कर सड़क पर गिर गया। सुबह कुछ बच्चों की नजर उक्त गिद्ध पर पड़ी तो उसको साफ कर उसके साथ सड़क पर खेलने लगे। फिर बाद में उसे धूप लगाया लोगों को जब लगा कि अब गिद्ध उड़ने लायक हो गया है, तो उसे खेत की ओर लेकर जाकर छोड़ दिया गया। कुछ देर के बाद वो खुद उड़ गया। इस बीच यह दृश्य कोतुहल का विषय बना हुआ है कि 20 सालों बाद यह पक्षी देखने को मिला है। लॉक डाउन के विषय में लोगों का कहना था कि लॉक डाउन से एक तरफ नुकसान तो है ही देश का, लेकिन प्राकृतिक के लिए कहीं ना कहीं फायदा भी है। जिसके कारण धरती से विलुप्त प्राणी गिद्ध भी देखने को मिला।
कोरोना काल में इंसान घरों में कैद हैं और पशु-पक्षी आजादी का आनंद उठा रहे हैं। सकंट की इस घड़ी में गिद्धों का नजर आना पर्यावरणविदों के मुताबिक शुभ संकेत है ।कई सालों में ऐसा पहली बार है की गिद्ध इस तरीके से खुले में नजर आए । संकटग्रस्त और विलुप्ती के कगार पर पहुंच चुके कुदरत के सफाई कर्मचारियों को देख कोरोना काल में कुछ साकारात्मक दृश्य सामने आया। खेतों में मृत जानवर को खाते ये गिद्ध हाल के सालों में बिल्लकुल नजर नहीं आते । नई पीढ़ी ने गिद्धों को तो इस तरह देखा भी नहीं होगा । मगर इंसान और कुदरत के बीच लातमेल सही रहे तो सबको जीने का अधिकार मिल जाएगा।
जानकारों की मानें तो जानवरों के दर्दनिवारक दवा डिक्लोफेनेक सोडियम का इस्तेमाल गिद्धों के विलुप्त होने का खतरा बना था , क्योंकि जानवरों को मृत होने के पश्चात गिद्ध उन्हें खाते थे और मृत जानवर को अगर दवा दी गयी होती तो इससे गिद्धों को नुकसान पहुंचता।
अभी एक ओर जहां कोरोना का कहर पूरे विश्व मे देखा जा रहा है वहीं कई इलाकों में अचानक बड़ी संख्या में गिद्धों के देखे जाने से आम लोग आशंकित हैं ,गिद्ध प्राकृतिक सफाई मजदूर है जो मृत शवों पर आश्रित रहते हैं। ऐसे समय मे इनकी बढ़ती संख्या और नए जगहों पर देखे जाने से कई बातें इलाके में कही सुनी जा रही हैं। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अमित कुमार की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma