कोरोना संकट के बीच छपरा जिले में पश्चिम बंगाल से 22 मार्च को आई एक बारात अब बड़ी खबर बन गई है
36 सदस्यों वाली बारात 22 मार्च को पश्चिम बंगाल से इनायतपुर मांझी छपरा के लिए आई थी, निकाह कुबूल हुआ, भोज भी हुई.पर अगले दिन लॉक डाउन लग जाने से बारात की बिदाई न हो सकी
कुछ दिन बाद प्रशासनिक हस्तक्षेप से बारातियों को पास दिया गया, दुल्हन की बिदाई हुई।लौट रही बारात जब झारखंड पहुंचीं, वहां पास मानने से झारखंड पुलिस ने इनकार कर दिया और बारातियों को वापस बैक टू पेवेलियन भेज दिया
पटना/छपरा,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 17 अप्रैल,20 ) ।
कोरोना संकट के बीच छपरा जिले में पश्चिम बंगाल से 22 मार्च को आई एक बारात अब बड़ी खबर बन गई है.सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार 36 सदस्यों वाली बारात 22 मार्च को पश्चिम बंगाल से इनायतपुर मांझी छपरा के लिए आई थी, निकाह कुबूल हुआ, भोज भी हुई.पर अगले दिन लॉक डाउन लग जाने से बारात की बिदाई न हो सकी,अब इतने लोगों को रखा कहां जाए तो इनका व्यवस्था पास के स्कूल में कर दिया गया, साथ ही लड़की वाले और गांव वालों के सहयोग से भोजन का इंतजाम भी हुआ.कुछ दिन बाद प्रशासनिक हस्तक्षेप से बारातियों को पास दिया गया, दुल्हन की बिदाई हुई।लौट रही बारात जब झारखंड पहुंचीं, वहां पास मानने से झारखंड पुलिस ने इनकार कर दिया और बारातियों को वापस बैक टू पेवेलियन भेज दिया.फिर वो लोग उसी स्कूल में वापस आ गए,जब ये बात स्थानीय लोगों को चली तो लोगों ने अपने स्तर से राशन वैगरह का व्यवस्था किया. अब इस गांव के स्कूल में ठहरी बारात सिर्फ लड़की वाले के लिए ही नहीं स्थानीय गांव वालों के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है जिसे स्थानीय लोग पूरी ईमानदारी से निभा भी रहे है. 22 मार्च से छपरा के माझी में ठहरी यह बारात अब राष्ट्रीय स्तर की खबर बन गई है और इस खबर में छुपी हुई है कौमी एकता की बनी एक अनूठी मिसाल । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma