संवैधानिक अधिकारों के तहत लोकतांत्रिक तरीके से अपनी वाजिब मांगों को लेकर 25 फरवरी से हड़ताल पर है शिक्षक
शिक्षकों की अपील मुख्यमंत्री जी,आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी तंद्रा टूटेगी तथा आपका कलेजा पसीजेगा
वैश्विक महामारी कोरोना की तुलना में कहीं अधिक अब तक लगभग 42 हड़ताली शिक्षकों की मृत्यु हो चुकी है
समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 11 अप्रैल,20 ) । बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी,आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी तंद्रा टूटेगी तथा आपका कलेजा पसीजेगा। उन्होंने राज्य में वैश्विक महामारी कोरोना की तुलना में कहीं अधिक अब तक लगभग 42 हड़ताली शिक्षकों की मृत्यु हो चुकी है। जो शिक्षक आंदोलन इतिहास की अब तक का सबसे बड़ी त्रासदी है । ये हड़ताली शिक्षक पहले से ही सरकार के नियोजनवाद के दंश को झेल रहे हैं तथा अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत लोकतांत्रिक तरीके से अपनी वाजिब मांगों को लेकर 25 फरवरी से हड़ताल पर है । मगर अपने को सुशासन की सरकार बताने वाली यह सरकार असंवैधानिक रूप से लगातार अल्प वेतनभोगी हड़ताली शिक्षकों का कार्य अवधि का भी वेतन बंद कर दमनात्मक कार्रवाई करती रही है । लगातार प्रताड़ना के कारण शिक्षक हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज तथा पैसे के अभाव में इलाज न कराने के कारण असमय काल के गाल में समाते जा रहें हैं । यदि इन शिक्षकों के परिवार की मृत्यु की संख्या को भी जोड़ी जाए तो यह बहुत बड़ी संख्या होगी । इस आशय की जानकारी देते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य सह युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि ये नियोजित शिक्षक जो कि कोरोना वायरस से पैदा हुए इस संकट के दौर में भी अपने सामाजिक दायित्वों के तहत न सिर्फ जागरुकता अभियान चला कर बल्कि विद्यालयों में बनाये गए कोरेंटाइन सेंटर में अपनी सेवा देने सहित इस विपदा की घड़ी में अपने एक दिन के वेतन जो लगभग पंद्रह करोड़ से अधिक की राशि होगी मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला लिया है। वर्तमान समय में हड़ताली शिक्षकों के बाल बच्चे और उन पर आश्रित माता-पिता सहित पूरा परिवार सरकार की आर्थिक व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहा है जो मानवाधिकार का सर्वथा उल्लंघन है।उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग अपने ही आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। विभाग ने अपने ही आदेशों में पूर्व में स्पष्ट किया है कि किसी भी हालात में शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाए। ये उनके मानवीय अधिकार का हनन होगा। विभाग ने अपने आदेशों में यह भी माना है कि इसका प्रभाव शिक्षक के साथ-साथ उसके परिवार पर भी पड़ता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुदर्शन कुमार चौधरी की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma