प्रवीण प्रसाद सिंह,
अधिवक्ता सह शिक्षक
समस्तीपुर, बिहार
शिक्षकों के मृत्यु का आँकङा 50 के पार,
आर्थिक तंगी से थे सभी लाचार,
हङताल मे हुये सभी बीमार, शासक पर क्यों काला जादू का चढ़ा है बुखार .?
हाय ! शिक्षकों की दुर्दशा खातिर है धिक्कार !
हे निधीपति ,हे जननिधी क्यों बने हो मक्कार..?
बिहारीलाल का करते क्यों हो अपकार..?
शिक्षा और शिक्षक तेरे लिये क्यों बना बेकार...?
शीघ्रता से करो हङताल का बेरा पार,
"वत्स"जन-जन करता यही पुकार।।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण प्रसाद सिंह की कविता संप्रेषित । Published by Rajesh kumar verma