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कोरोना वायरस की महामारी, लॉक डाउन घरबंदी व् वेतंबन्दी के बीच कहर रहे समस्तीपुर के हजारों शिक्षक : रामबालक राय


कोरोना संकट और वेतनबंदी के बीच सरकार की चरम उपेक्षा झेल रहे हड़ताली शिक्षकों में सरकार के प्रति नाराजगी लागातार बढ़ती जा रही है. जहां सरकार शिक्षकों के हड़ताल पर चुप्पी साधे बैठी है, वहीं शिक्षक इसे सरकार की तानाशाही रवैया करार दे रहे हैं

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 04 अप्रैल,20 ) । कोरोना संकट और वेतनबंदी के बीच सरकार की चरम उपेक्षा झेल रहे हड़ताली शिक्षकों में सरकार के प्रति नाराजगी लागातार बढ़ती दिख रही है. जहां सरका,र शिक्षकों के हड़ताल पर चुप्पी साधे बैठी है वहीं शिक्षक इसे सरकार की तानाशाही करार दे रहे हैं. लॉकडाउन की मजबूती से संक्रमण विस्तार पर एक हद तक रोक लगने की संभावना है, लेकिन संक्रमित लोगों की शिनाख्त और उसे अस्पतालों तक रेफर करने, आपदा राहत चलाने, नागरिकों के स्वास्थ्य रक्षा के लिए राज्यसरकार को ग्रासरुट स्तर तक सुरक्षित अभियान चलाने की तैयारी शुरु करनी होगी. लिहाजा कोरोना संकट के खिलाफ सघन टीम बनाने की जरूरत सरकार के सामने है. 
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति समस्तीपुर उजियारपुर सचिव मंडल सदस्य रामबालक राय ने कहा है कि शिक्षक सरकार के तमाम बड़े अभियानों के रीढ़ हैं उनके बगैर व्यापक पैमाने पर पहलकदमी लेना सरकार के लिए कठिन व् चुनौतीपूर्ण है. लेकिन शिक्षकों के प्रति सरकार का रुख अबतक उपेक्षापूर्ण ही दिख रहा है. 
लॉकडाउन के बीच सूबे के शिक्षक बिहार के गांव गांव कस्बों कस्बों और गली मुहल्लों में जाकर सैनिटाइज साबुन वह अन्य किट का वितरण करते हुए अपने अभियान को आगे बढ़ाया और इसी कड़ी में राज्य सरकार व समाज व संघ सभी को अवगत कराया यहां तक कि अंत में सोशल मीडिया के सहारे लोगों को जागरूक करना व शासन व प्रशासन को ईमेल करना ईमेल फॉर जस्टिस कैंपेन चलाते हुए अपनी मांगों पर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व मानवाधिकार आयोग को भेजा गया हैं. 
उन्होंने कहा है कि यदि इस बार कोरोना संकट में शिक्षकों के प्रति सरकारी उपेक्षा का रिकार्ड टूटा है तो आनेवाले वक्त में शिक्षक आंदोलनों और प्रतिरोध का रिकार्ड भी कायम होगा. राज्य सरकार की चरम संवेदनहीनता से शिक्षक टूटनेवाले नही हैं. कोरोना महामारी और सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ बिहार का शिक्षक समाज अंतिम दम तक लड़ेगा. 
वही उजियारपुर अध्यक्ष अमरनाथ चौधरी व संयोजक जयंत पंकज ने कहा है कि कोरोना संकट के दौर में जिस तरह से निजी अस्पताल हाथ खड़े कर रहे उससे साफ पता चलता है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सार्वजनिक जरूरतों का व्यापारीकरण करके हम संकटों का मुकाबला नही कर सकते हैं. सरकारी विद्यालय के शिक्षक कोरोना संकट में सरकार के साथ खड़े हैं. वक्त का तकाजा है कि राज्य सरकार अविलंब शिक्षकों से बात करके उनकी हड़ताल तुड़वाये और शिक्षकों को लेकर आपदा और राहत प्रबंधन की सुदृढ़ योजना बनाये. 
वहीं अभिनीत कुमार व् अवनीश कुमार ने कहा कि कोरोना आपदा घोषित होने के बावजूद शिक्षकों के पूर्व से लंबित वेतन और रोककर रखे जा रहे हैं. हड़ताली शिक्षकों के निलंबन बर्खास्तगी प्राथमिकी जैसे आदेश जारी किये जा रहे हैं. यह सरकार का अपने कर्मियों के प्रति चरम संवेदनहीनता का ही प्रदर्शन है. 
बिहार का शिक्षक समाज धैर्य और साहस के साथ कोरोना और अपने साथ हो रहे भेदभाव का मुकाबला कर रहा है. जबतक सरकार शिक्षकों के मसले पर कोई स्टेंड जारी नही करती शिक्षक हड़ताल में बने रहने को बाध्य हैं । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित रामबालक राय की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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