प्रकाश सिन्हा, बेगूसराय
सुना सुना है शहर,
सुना सुना सा है हर डगर,
सुनी पड़ी हैँ राहें,
गाँव की गलियां ।
या रहा आलीशान ऊँचा महल,
मौत की साया -।
साफ साफ है झलकता,।।
कोरोना बन गया हमसफ़र -,
कोरोना बन गया हमसफर ------।
हाहाकार मचा है -----,
विश्व में फैलाता जा रहा ---
दिन दूना रात चौगुना ---
त्राहिमाम मचा रहा -----
अनु - परमाणु बम नहीं -----
है छोटा सा जैबिक अश्त्र ---
करिश्मा कुदरत का -----
या है कोई बड़ा षड्यंत्र ----
पाल रहा इसे कोई ---
या अनुसंधानिक प्रयोग ------
अर्थ व्यवस्था ध्वस्त विश्व में ----
हो रहा है पूर्ण कमजोर ----
आतंकबाद का लगता ---
है कुछ ना कुछ कहर, ।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाश सिन्हा की कविता सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma