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वित्त अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों पर सरकार को गंभीरतापूर्वक सोचने की जरूरत : आशुतोष


- लगभग 40 वषों पूर्व हुई थी बिहार इन विद्यालयों की स्थापना

- कुल 715 विधालय हैं बिहार में

- 2008 में वितरहित शिक्षा नीति हुई समाप्त।

राजेश कुमार वर्मा/रंजीत कुमार 

समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 12 अप्रैल,20 ) । बिहार वित्त अनुदानित माध्यमिक शिक्षाकर्मी मंच, पटना के प्रदेश महासचिव से बिहार के स्थापना की अनुमति प्राप्त /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक /अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों की समस्याओं पर बातचीत :
*विधालयों की स्थापना कैसे हुई ?*
बिहार में लगभग 40 वर्ष पूर्व समाज में बालक बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए उच्च विधालयों की स्थापना तत्कालीन सरकार मापदंड के अनुसार भूमि, उपस्कर, शिक्षक, शिक्षकेत्तर, शौचालय, पेयजल, सुरक्षा कोष, पुस्तकालय कमरे आदि के बाद सरकार के अनुमति के उपरांत हुई थी और तब से ये विधालय पूर्णत: सरकारी मापदंड पर चलता आ रहा है, तत्पश्चात बोर्ड के द्वारा विद्यालयों को प्रस्वीकृति /विधालय कोड /यू - डेस कोड प्राप्त हुआ। उस समय पंचायतों में उच्च विधालयों का आभाव था। 
*वित्तरहित शिक्षा नीति की समाप्ति कब हुई ?*
- 2008 में। 
*वेतन के रूप में शिक्षाकर्मियों को क्या मिलता है।*
2008 में माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री जी द्वारा वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त कर छात्रों के परीक्षाफल के आधार पर शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतन मद में छात्रों के परीक्षाफल के आधार अनुदान की राशि मिलती है। 
*क्या अनुदानित विधालयों के छात्र छात्राओं को सरकार के द्वारा जारी प्रोत्साहन राशियां मिलती है?*
जी हां,अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले के छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति एवं पोशाक, साईकिल, नेपकिन एवं मुख्यमंत्री मेघा प्रोत्साहन राशि भी समय समय पर मिलती है। 
*कब तक का अनुदान मिला है ?*
 अभी 2013-14 सत्र का ही अनुदान लगभग 1 वर्ष से दिया जा रहा है। सत्र 2014-15/2015-16 के स्वीकृत अनुदान जिसका पैसा भी बोर्ड को भेजा जा चुका है, उसका भुगतान अभी शुरू नहीं हुआ है। लगभग 6 वर्ष का अनुदान बाकी है।
*क्या विगत वर्षों का अनुदान सभी विधालयों को मिल चूका है?*
कुछ विधालयों का अनुदान पिछले वर्ष का भी बकाया है।
*क्या मूल्यांकन कार्य में वित्त अनुदानित शिक्षकों को लगाया जाता है?*
जी हां, वित्त अनुदानित माध्यमिक शिक्षकों को मैट्रिक परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में लगाया जाता है। वर्तमान में वित्त अनुदानित इंटर शिक्षकों के सराहनीय योगदान से ससमय इन्टरमीडिएट तथा माध्यमिक शिक्षकों के भगीरथ प्रयास से मैट्रिक परीक्षा का परिणाम भी प्रकाशित होगा। कोरोनावायरस को लेकर मैट्रिक परीक्षा परिणाम घोषित नही हुआ है बहुत ही अल्प कॉपियां बचीं हैं। यहां यह बता दें कि बिहार वित्त अनुदानित माध्यमिक शिक्षाकर्मी मंच पटना ने अध्यक्ष, बिहार विधालय परीक्षा समिति को पत्र लिखकर बताया था कि छात्रहित में वित अनुदानित माध्यमिक शिक्षक मूल्यांकन कार्य करेगें। और मूल्यांकन किया भी।
*क्या मतदान प्रक्रिया में भी इन शिक्षाकर्मियों को लगाया जाता है?*
- स्थापना की अनुमति प्राप्त /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक विधालयों के शिक्षाकर्मियों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया में लगाया जाता है।
*क्या इन विद्यालयों को पर्याप्त भूमि है?*
बिहार के सभी स्थापना की अनुमति प्राप्त /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक माध्यमिक विद्यालयों की मानक आधारित भूमि माननीय राज्यपाल के नाम से निबंधित है।
*बिहार में कुल कितने स्थापना /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक /अनुदानित माध्यमिक विद्यालय हैं?*
 - बिहार में कुल स्थापना की अनुमति प्राप्त /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक /अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 715 है।
*क्या सभी सरकारी मापदंड के अनुसार चल रहे हैं?*
बिहार में संचालित स्थापना की अनुमति प्राप्त /प्रस्वीकृत /स्वत्वाधारक /अनुदानित माध्यमिक विद्यालय पूर्णतः सरकारी मापदंड के अनुसार चल रहे हैं। 
*मुख्यमंत्री जी से बिहार वित्त अनुदानित माध्यमिक शिक्षाकर्मी मंच, पटना की क्या मांग है?*
- वित्त अनुदानित माध्यमिक शिक्षाकर्मी मंच, पटना माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय शिक्षामंत्री जी से यह मांग करता है कि 40 वर्षो से चल रहे विधालयों की दशा व उसमें कार्यरत शिक्षाकर्मियों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए जो राशि सरकार अनुदान के रूप में सरकार के द्वारा दी जाती है उसी राशि को मासिक नियत वेतन के रूप में शिक्षाकर्मियों को भुगतान किया जाय। इसमें सरकार को किसी प्रकार का अतिरिक्त व्यय नहीं होगा।की बार माननीय मुख्यमंत्री जी सचिवालय द्वारा एवं माननीय शिक्षामंत्री जी से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया है। आपदा की स्थिति में मेल माननीय मुख्यमंत्री जी माननीय शिक्षामंत्री जी को ज्ञापन भेजा जा रहा है।
*अनुदानित विधालयों वाले पंचायतों में मध्य विद्यालयों के उत्क्रमण पर क्या कहना है?*
वर्तमान में सरकार ने कैबिनेट के द्वारा अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों वाले पंचायतों में मध्य विद्यालयों के उत्क्रमण करने का फैसला लिया है। इसके तहत उक्त पंचायतों में भी मध्य विद्यालयों को उच्च विधालयों में उत्क्रमित /अथवा 9 वीं की पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है।इससे अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों का नामांकन नही हो सकेगा, फलतः विधालय स्वत:बन्दी के कगार पर हो जाएगा और शिक्षाकर्मियों को वेतन मद में मिलने वाले अनुदान भी बन्द हो जाएगा। भविष्य में इस परिस्थिति के उत्पन्न होने पर शिक्षाकमियों की दशा पर सरकार को गंभीरतापूर्वक सोचने की जरूरत है। 
    *कोरोना वायरस पर कुछ कहना चाहेंगें।*
-कोरोना वायरस पूरे देश में समस्या उत्पन्न कर रही है। मैं कोरोना वायरस से बचाव में लगे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, प्रशासन व मीडिया को धन्यवाद देता हूँ जो अपने जान पर खेलकर लोगों की रक्षा कर रहे हैं।
*आम जन के लिए कोई संदेश*
- समस्त लोग सरकार व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें। घर पर सुरक्षित व स्वस्थ रहें।
        बता दें कि कि लगभग 40 वर्षो से संचालित संस्थान की ओर किसी भी सरकार का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है? यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। जब सारे संसाधन उपलब्ध हैं तो सरकार भूमि के अभाव में विधालयों का समुचित विकास नही कर रही है। एक एक विधालय में दूसरे विधालय चलाये जा रहे हैं। राज्यपाल के नाम से करोड़ों की सम्पत्ति उपलब्ध है सरकार को इस ओर अवश्य ध्यान देने की आवश्यकता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा रंजीत कुमार की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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