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एक ओर जहां प्राचीन देव सूर्य मंदिर भारतीय पर्यटन स्थल के रूप में देश में प्रख्यात है तो दूसरी ओर मदनपुर में बना प्राचीन सूर्य मंदिर उमगा पर्यटन विभाग के द्वार पर बार-बार दस्तक देता दिख रहा है।

 

मंदिर निर्माण से जुड़े डा विजय राज सिंह व कुमुद रंजन मिश्र बताते हैं कि मंदिर निर्माण की प्रेरणा पिपरा में यज्ञ कराने आए संत आशीष कुमार बापू ने दी थी

संत के आदेश को ग्रामीणों ने स्वीकार कर सूर्यमंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़े

बत्तरे नदी में बह रहा अविरल जलप्रवाह इसे ईश्वरीय प्रभाव कहें अथवा प्रकृति की सहृदयता सूर्यमंदिर के पश्चिम बत्तरे नदी किनारे लगभग 10 हॉर्स पावर का जल प्रवाह निरंतर हो रहा है। जहां सभी ओर जल के लिए हाहाकार मचा हो वहीं अविरल जलस्त्रोत प्रवाहमान हो तो वाकई यह आश्चर्य प्रकट करता है। ग्रामीणों का कहना है कि आनेवाले दिनों में उक्त स्थान पर कुंड का निर्माण कराया जाएगा। 

अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

औरंगाबाद,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 27 अप्रैल,20 ) । जिला भगवान भाष्कर का इलाका रहा है। भगवान सूर्य ने अपनी अनंत प्रकाश से जिले में जो रश्मियां बिखेरी है उसका प्रतिफल है कि सूर्य मंदिरों की एक लंबी श्रृंखला पूरे जिले में है। एक ओर जहां प्राचीन देव सूर्य मंदिर भारतीय पर्यटन स्थल के रूप में देश में प्रख्यात है तो दूसरी ओर मदनपुर में बना प्राचीन सूर्य मंदिर उमगा पर्यटन विभाग के द्वार पर बार-बार दस्तक देता दिख रहा है। देख जाए तो जिले का कोई भी प्रखंड ऐसा नहीं है जहां प्राचीनतम या आधुनिकतम सूर्यमंदिर नहीं दिखता हो। नए सूर्यमंदिरों में कुटुंबा प्रखंड का पिपरा-सांड़ी में नवनिर्माण से गुजर रहा सूर्यमंदिर की ख्याति कई राज्यों तक पहुंचेगी। यहां बन रहे सूर्यमंदिर के आसपास तीन एकड़ 57 डिसमिल भूमि पर मंदिर के अलावा आयुर्वेदीय पौधे लगाने का स्तुत्य प्रयास किया जा रहा है। कई प्रकार के औषधीय पौधे तो लगाये जा चुके हैं। मंदिर अपने उत्कर्ष को प्राप्त कर चुका है। 150 औषधीय पौधे के साथ सजेगा सूर्य मंदिर परिसर।मंदिर निर्माण से जुड़े डा विजय राज सिंह व कुमुद रंजन मिश्र बताते हैं कि मंदिर निर्माण की प्रेरणा पिपरा में यज्ञ कराने आए संत आशीष कुमार बापू ने दी थी। वे प्रात:काल जब भ्रमण को निकले तो यहां बत्तरे नदी तट पर अविरल जलस्त्रोत देख वे ठिठक गए। कहा कि यह स्थान ईश्वरीय आह्वान का केन्द्र के रूप में चर्चित होगा। उन्होंने ग्रामीणों से उक्त स्थल पर सूर्यमंदिर निर्माण कराने का आग्रह किया। संत के आदेश को ग्रामीणों ने स्वीकार कर सूर्यमंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़े। मंदिर का निर्माण लगभग पूर्ण होने को है। बताया कि मंदिर परिसर में औषधीय पौधे का हब बनाये जाने का निर्णय हुआ है। वर्तमान में लगभग डेढ़ सौ औषधीय पौधे यहां लगाये जा चुके हैं। कुल तीन हजार औषधीय पौधे लगाए जाने का लक्ष्य हैं। यहां लगे पौधों में नक्षत्र-वन भी होगा। नक्षत्र-वन के जरिए यहां ग्रह चक्र पर नियंत्रण संभव हो सकेगा। फिलहाल 400 फूल व 200 सौ जंगली पौधे लगाये जा रहे हैं। 1400 पौधे इस वर्ष लग जाएंगे। बत्तरे नदी में बह रहा अविरल जलप्रवाह इसे ईश्वरीय प्रभाव कहें अथवा प्रकृति की सहृदयता सूर्यमंदिर के पश्चिम बत्तरे नदी किनारे लगभग 10 हॉर्स पावर का जल प्रवाह निरंतर हो रहा है। जहां सभी ओर जल के लिए हाहाकार मचा हो वहीं अविरल जलस्त्रोत प्रवाहमान हो तो वाकई यह आश्चर्य प्रकट करता है। ग्रामीणों का कहना है कि आनेवाले दिनों में उक्त स्थान पर कुंड का निर्माण कराया जाएगा। भक्त श्रद्धालु कुंड में स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य को अपना अ‌र्घ्य चढ़ाने में सफल होंगे। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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