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सुंदर कविता : हाय!हाय!ये मजबूरी

         
           प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"
                 समस्तीपुर, बिहार

  समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 30 अप्रैल,20 ) ।

हाय!हाय!ये मजबूरी,
छूट की क्यूँ थी जरूरी?
मेहुल,नीरव, माल्या जी को,
लूट मे छूट क्यों जरूरी ?-2हाय हाय रे मजबूरी-3
कितने सावन बीत गए,
कितने सावन आए-2
रंग रसिया,
मन भावन कुर्सी,
लूट मे छूट दिलाए,-2
मेहनत कश का पेट काटकर,
खुद का भत्ता बढाये,-2
शिक्षा-शिक्षक गौण हो रहे,
काल के गाल मे मौन हो रहे!
लेता नहीं सुधि चौकीदार,
क्या मन मे है ठानी।
हाय!कैसी है मजबूरी?
हाय !हाय! रे मजबूरी,
क्यों लूट की छूट जरूरी ..??
 प्रवीण वत्स द्दारा स्वरचित समस्या मूलक गीत शीर्षक हाय!हाय!ये मजबूरी प्रकाशित किया जाय।माननीय राजेश कुमार वर्मा जी को प्रकाशित करने हेतु संप्रेषित। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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