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लोकतंत्र में आज के पत्रकार की भूमिकाएक प्रकार का दिहाड़ी अवैतनिक श्रमिक है पत्रकार : राजेश कुमार वर्मा



मैं एक सामान्य अवैतनिक पत्रकार हूं,
समाजसेवी हूं लेकिनवेतन भोगी नही हूं,

क्या कभी किसी राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक, न्यायिक, बुद्धिजीवियों द्वारा इन बातों पर विचार किया गया है कि आखिर में पत्रकार के परिवार की जिन्दगी कैसे बीत रही होगी, जो बिना भेदभाव के नि:शुल्क, नि:शब्द अपनी लेखनी को जनमानस के साथ - साथ केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के अलावे न्यायिक प्रशासनिक अधिकारियों तक दिन रात किसी भी प्रकार से अपनी वाणी को पहुंचाने का भरसक प्रयास करते रहते हैं ।...??
      
मैं एक सामान्य पत्रकार हूं,
 भूखा-प्यासा भी आपके समाचारों को 
प्रकाशित करता हूं क्योंकि 
मैं श्रमिक पत्रकार वेतन भोगी भी नही हूं

राजेश कुमार वर्मा 

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज 05 अप्रैल,20 ) । मेरे प्यारे देश वासियों आज देश के हरेक राज्य के जिले के निवासी कोरोना वायरस जैसे संक्रमण की महामारी से त्रस्त है, जिसके लेकर देश भर में लॉक डाउन लगाया गया है। आप सभी से कहना चाहता हुं की मैं भी एक प्रकार का दिहाड़ी अवैतनिक श्रमिक हूं, मैं रोज पेपर लोगो तक पहुंचे इसका पुरजोर कोशिश करता हूं, हम सबकी जन सेवा ही हमारी जीविका होती है ना कहीं से आमदनी का कोई स्रोत होता है । और नाहीं कोई सहायता देना चाहता है ..?? सच्चाई छापना हमारा मकसद होता है पर हमारा भी परिवार है, कैसे चलेगी हमारा और हमारे परिवार की जीविका । हम भी परिवार वाले हैं । पत्रकारों की सुध लेने वाला कौन है, कौन बनेगा, इन का सहारा । इस भयंकर तपती धूप में भी निकल कर सरकार की बात और जनता की समस्या को हल करने के लिए न्यूज पेपर, न्यूज चैनल, सोशल मीडिया, बेव पोर्टल इत्यादि के माध्यम से न्यूज़ चैनल में प्रकाशित हेतू पहुंचाते रहते हैं ।
 क्या कभी किसी राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक, न्यायिक, बुद्धिजीवियों द्वारा इन बातों पर विचार किया गया है कि आखिर में पत्रकार के परिवार की जिन्दगी कैसे बीत रही होगी, जो बिना भेदभाव के नि:शुल्क, नि:शब्द अपनी लेखनी को जनमानस के साथ - साथ केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के अलावे न्यायिक प्रशासनिक अधिकारियों तक दिन रात किसी भी प्रकार से अपनी वाणी को पहुंचाने का भरसक प्रयास करते रहते हैं ।...??
    और पारिश्रमिक के तौर पर कुछ भी नहीं मिलता हैं तो आखिर में मेरी जीविका कैसे चलेगी । आखिर में इन पत्रकारों की जिन्दगी कैसे व्यतीत हो इसपर गौर फरमाएगा कौन..??
मेरे पास कोई खेत खलिहान भी नही है,
मैं बी पी एल में भी नहीं आता हूँ,
मुझे कोई चिकित्सकीय सुविधा भी प्रदान नहीं की जाती हैं,
ना ही कोई पी एफ/ एपीएफ हैं,
ना ही किसी प्रकार का Bank Balance हैं ।
लॉक डाउन वाले आर्थिक पैकेज की घोषणा में हम जैसे पत्रकारों के लिए भी कोई प्रावधान नही हैं।
फिर भी मैं इस आपातकाल में बिना किसी मांग के अपने परिवार के साथ में देश के साथ हूँ,
क्योंकि मैं पत्रकार हूं ,
क्योंकि मैं भारतीय हूँ।
और बिहार के निवासी हूं तो बिहारी नागरिक भी हूं । ..??
जय जवान जय किसान, जय हिन्द-जय भारत ।
आज की कहानीं
आप मुझें सिर्फ़ 05 अप्रैल को 09 रात्रि में 09 मिनट दो..
अंधियारा करें और हरेक एक दीया जलाऐं,
कोरोना को दूर भगाऐं ।।
मैं आपको कोरोना महामारी से बचने के लिए घर में रहें, सुरक्षित रहें के साथ बचाव के साथ ही लॉक डाउन के निर्देश का अनुपालन की अपील करता हूं ।

राजेश कुमार वर्मासमाजसेवी पत्रकार, समस्तीपुर, बिहार ।
समस्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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