एनआरआई उद्योगपति रमेश कुमार शर्मा ने कोरोना संकट के बीच राहत कार्यों में भेदभाव पर एतराज जताया है
बिहार के 38 जिलों में से 11 जिले ऐसे हैं जिसमें 10 में से 6 लोग गरीब हैं। यह जिले मुख्यतया उत्तर बिहार में है और अररिया व मधेपुरा में गरीबों की यह संख्या बढ़कर 10 में 7 हो जाती है। देश के 640 जिलों में से वैसे जिले जहां 60% गरीब है, ऐसे जिलों की आबादी करीब 4 करोड़ है।
इन 4 करोड़ लोगों में से आधे से ज्यादा ( 2 करोड़ 80 हजार) लोग बिहार के इन्हीं 11 जिलों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि समय रहते अगर राज्य सरकार सचेत नहीं हुई तो कोरोना से ज्यादा बिहार में भूख से मौतें होंगी.
पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 24 अप्रैल,20 ) । एन० आर० आई० बिहारी समाजसेवी उद्योगपति रमेश कुमार शर्मा ने कि देश के प्रधानमंत्री व बिहार के मुख्यमंत्री से अपील भूख और गरीबी का ना उड़ाये मजाक सबों को समान रूप से दी जाए राहत सामग्री. एनआरआई उद्योगपति रमेश कुमार शर्मा ने कोरोना संकट के बीच राहत कार्यों में भेदभाव पर एतराज जताया है उन्होंने कहा कि संकट के इस काल में पूरा देश एक है।फिर राहत और पुनर्वास कार्यों में सब को एक समान राहत मिलनी चाहिए खासकर बिहार में जिस प्रकार सरकार सिर्फ राशन कार्ड एपीएल बीपीएल के लोगों को अनाज दे रही है इससे समाज में एक बड़ा तबका अपने अधिकारों से वंचित हो रहा है बिहार में लाखों लोगों के सामने भुखमरी है पर सरकार उन्हें कोई राहत सामग्री नहीं दे रही है उन्होंने बिहार का मुख्यमंत्री से अपील की कि संकट की इस घड़ी में सभी जरूरतमंदों को एक समान राहत और सहायता पहुंचाई जाए.
कोरोना संकट के बीच बिहार के लोगों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया गया है जो भी सरकारी इंतजाम है पूरी तरह से फेल है सरकार गंभीर होती तो दिल्ली में जिस तरह से बिहारियों के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ उस पर रोक लगती जब बिहार के प्रवासी पैदल और जानवरों की तरह गाड़ियों में भर-भर कर बिहार आ गए तब सरकार की नींद खुली है यह बातें एन आर आई बिहारी व चर्चित समाजसेवी उद्योगपति रमेश कुमार शर्मा ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नवी मुंबई से दी है उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में गरीब असहाय लोगों के लिए चलाया जा रहा राहत अभियान जारी रहेगा जिसके तहत इलाके के किसी भी गरीब व्यक्ति के दवाई के बिल का भुगतान उनकी तरफ से ऑनलाइन किया जा रहा है. जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने बताया कि एक तरफ पूरे विश्व में इस महामारी ने अपना कहर बरपा रखा है वहीं दूसरी तरफ बिहार जैसे गरीब प्रांत में लोग दाने-दाने को मोहताज हैं यहां भी सरकार राजनीति करने से बाज नहीं आई समान आचार संहिता के तहत सभी लोगों के लिए अनाज की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए यहां भी सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत सिर्फ राशन कार्ड धारियों और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का ही वर्गीकरण किया है जबकि लाखों करोड़ों ऐसे लोग हैं जिनके घरों में विगत 9 दिनों से चूल्हा नहीं जला है.बिहार की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि आज भी देश का सबसे गरीब राज्य बिहार है।
बिहार के 38 जिलों में से 11 जिले ऐसे हैं जिसमें 10 में से 6 लोग गरीब हैं। यह जिले मुख्यतया उत्तर बिहार में है और अररिया व मधेपुरा में गरीबों की यह संख्या बढ़कर 10 में 7 हो जाती है। देश के 640 जिलों में से वैसे जिले जहां 60% गरीब है, ऐसे जिलों की आबादी करीब 4 करोड़ है।
इन 4 करोड़ लोगों में से आधे से ज्यादा ( 2 करोड़ 80 हजार) लोग बिहार के इन्हीं 11 जिलों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि समय रहते अगर राज्य सरकार सचेत नहीं हुई तो कोरोना से ज्यादा बिहार में भूख से मौतें होंगी. बिहार में पॉजिटिव लोगों की जो रिपोर्ट आ रही है उसी पर विरोधाभास उत्पन्न हो गया है सरकार सभी मोर्चों पर असहाय नजर आ रही ऐसे समय में बिहार के लोगों के कल्याण के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मिलकर समान रूप से सब के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में इन दिनों देश और विदेश से लौटे कामगारों के कारण स्थिति और विस्फोटक हुई है.पंचायत स्तर पर जांच की व्यवस्था तथा गरीब लोगों के लिए भोजन और दवाओं की व्यवस्था होनी चाहिए .अपने संगठन के माध्यम से पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के मनेर बिहटा दानापुर पालीगंज विक्रम मसौढ़ी नौबतपुर फुलवारी इलाके के लोगों के लिए युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि जो संकट आज हुआ है वह अपने साथ कई सारे दर्द देकर जाने वाला है समय रहते अगर सचेत नहीं रहा गया तो इसका बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma