प्रवीण प्रसाद सिंह 'वत्स'
अधिवक्ता सह शिक्षक
समस्तीपुर, बिहार
मृत्यु का आलिंगन,
विरह वेदना का मिलन,
चीर शांति, न कोई माँग,
शासक को असीम सुख, वैभवशाली ब्यक्तीत्व,
नरमुंड की बली,नित्य निगलने लगा नरभक्षी मानिंद,
गूँगे, बहरे,हुक्मरानों की.फौज,
विहँस रहे अपने कायरतापूर्ण गाथाओं पर,
रोज देते शिकार निरीह निर्दोषों को,
एक एक शिक्षक के मौत का समाचार,
सत्ता हब्शी है, पैशाचिक वृत्ति है,
नरकंकालों के रक्त से सजती है,
मगध साम्राज्य में अट्टहास की गूंज है,
खुले तौर से आकाश पर थूकने की होङ है,
हाय!राष्ट्र निर्माता की असामयिक होती मौत है !
लेखक समाजवादी विचारधारा के साथ ही शिक्षक व अधिवक्ता भी है । इनके द्वारा भेजी गई रचना मूल प्रकाशित । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma