लेखक: प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"
अधिवक्ता
अनजान डगर सूनसान सफर,
अलवेला मौसम मे कोरोना कहर,
विश्व विजयी बनना है
अनजान डगर सूनसान सफर,
अलवेला मौसम मे कोरोना कहर,
हमसबको घर में रहना है,
कालचक्र का कहना है,
साफ-सफाई आहार-विहार,
आत्मिक सुचिता में रहना है,
जीवन-पथ पर आगे बढना है,
नवल - धवल कीर्ति गढना है,
भारत को विश्व-विजेता बनना है,
जन-मानस का यह कहना है,
कोरोना-कोरोना का भी कहना है।
कोरोना के जंग मे मरकज है आ गया,
बेमौत मरने को खुदा का शुक्र बता गया ।
"वत्स "जो ईलाज करने वालों पर रूसवाई करे,
इंसानियत का मर्म उसे जाहिल बता गया।।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"की कविता संप्रेषित । .. Published by Rajesh kumar verma