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राहत वितरण पर जिलाधिकारी के रोक को नहीं मानने नेताओं पर कार्रवाई करने की किया मांग भाकपा-माले नेता सुरेंद्र


राजद नेता फ़ैज़ ने जिलाधकारी को इस त्रासदी में निष्पक्ष रहने की सलाह देते हुए पूछा है कि सांसद और विधायक द्वारा अनुशंसित राशि जो कोरोना के बचाव और राहत के लिए था उसका कितना और क्या उपयोग हुआ..? 

 सत्ताधारी एवं समरथ नेता नहीं मानते अधिकारी का आदेश - माले

राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट

 समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 24 अप्रैल, 20 ) ।
लॉकडाउन प्रभावितों के बीच भोजन, राहत सामग्री आदि लगातार वितरण किये जाने से कोरोना फैलने के खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी ने राहत वितरण पर पूर्णतः रोक लगा दिया था । इसके बाबजूद सत्ताधारी दलों एवं समरथ नेताओं द्वारा लगातार भोजन एवं राहत वितरण कार्य जारी है । इसकी खबर भी लगातार मीडिया के विभिन्न माध्यमों से आ रही है । इस आशय से संबंधित शुक्रवार को भी कई अखबारों में कई समरथ नेताओं की खबर तस्वीर के साथ छपी है । इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा माले नेता सह चर्चित आंदोलनकारी सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के इस दौड़ में भी "समरथ को नाही दोष गोसाई" की कहावत शत प्रतिशत चरितार्थ हो रहा है । विश्व के सबसे बड़े त्रासदी में भी समस्तीपुर के सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं के अलावा आम लोगों ने भी राहत और मदद के लिए बढ़ चढ़ कर हाथ बढ़ाया था और बड़े पैमाने पर राहत और भोजन बांट रहे थे, परन्तु ज़िला अधिकारी ने तुगलकी फरमान जारी कर ऐसे सभी लोगों को राहत बांटने से रोका ही नहीं बल्कि कानूनी करवाई की चेतावनी दी. इसे देखते हुए तमाम संस्थाओं और विपक्षी दलों को राहत अभियान को रोकना पड़ा. राहत वितरण की अनुमती सामाजिक संस्था चेतना आदि को नहीं दिया गया. माले, आइसा, इनौस, यहाँ तक की कांग्रेस, रालोसपा, राजद, माकपा, भाकपा, वीआईपी, हम आदि को भी राहत वितरण का आदेश नहीं मिलने के कारण इसे बीच में ही रोकना पड़ा. ऐसे अनेकों उदाहरण है जिसे दर्जनों संगठनों ने जिलाधिकारी के आदेश और डाउन के उल्लंघन को देखते हुए उनके फरमान को सर आंखों पर लिया जो जनहित और भूखे, गरीब लोगों के हित में भी नहीं था, सरकार की तरफ से जिला अधिकारी ने सामुदायिक किचेन चालू करने की बात भी कही जो केवल घोषणा भर ही थी, वहीं सत्ताधारी एवं समरथ नेताओं द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लगातार उक्त आदेश की धज्जियां उडाते देखा जा रहा है जो चिंता का विषय के साथ उनका मनमानी रवैया को भी दर्शाता है। सैंया भए कोतवाल की कहावत को चरितार्थ करते भाजपा और जदयू के नेता दिख रहे हैं। इससे जिला में गलत नजीर पेश हो रहा है. इससे कोरोना का प्रसार भी तेजी से होने की आशंका बनती दिख रही है । 
विदित हो कि प्रदेश राजद नेता फैज़ुर रहमान फ़ैज़ की टीम ने भी जिले भर में चल रहे अपने राहत अभियान को ज़िला अधिकारी के फरमान के बाद रोका,वहीं बिहार यूथ फेडरेशन,सामाजिक कार्यकर्ता खालिद अनवर, सादिया जैनब, नसरीन अंजुम, उज़मा रहीम, बबलू तिवारी जैसे सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने राहत अभियान को रोकना पड़ा।
राजद नेता फ़ैज़ ने जिलाधकारी को इस त्रासदी में निष्पक्ष रहने की सलाह दी है,और पूछा है कि सांसद और विधायक द्वारा अनुशंसित राशि जो कोरोना के बचाव और राहत के लिए था उसका कितना और क्या उपयोग हुआ? उस पर भी प्रेस कांफ्रेंस कर के आम अवाम को बताएं,और सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता के रूप में नहीं बल्कि जिलाधिकारी की भूमिका का निर्वहन करें।
 माले नेता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने जिलाधिकारी से स्वयं इसकी जाँच कर आदेश नहीं मानने वाले नेताओं पर कारबाई की मांग की है । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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