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प्रकृति, पुरुषार्थ, ओज, शौर्य, प्रेम और सौंदर्य के कवि दिनकर ने पूरे संसार मे हिंदी साहित्य को प्रतिष्ठित किया : राकेश


राष्ट्र कवि दिनकर की 46वीं पुण्यतिथि के अवसर पर समस्तीपुर विकास मंच ने दिया पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली

राजेश कुमार वर्मा/अमरदीप नारायण प्रसाद की रिपोर्ट 
समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 24 अप्रैल,20 ) । सच' को कविता में पिरोने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आज 46वीं पुण्यतिथि है l उनका निधन 24 अप्रैल, 1974 को हुआ था l उन्होंने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नयी ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया l समस्तीपुर प्रखंड के विशनपुर पंचायत स्थित समाजसेवी राकेश कुमार ठाकुर के आवास पर आज राष्ट्रकवि स्मृति -शेष रामधारी सिंह दिनकर जी की 'पुण्यतिथि ' पर उनके तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी l "समस्तीपुर विकास मंच " के द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता संयोजक राकेश कुमार ठाकुर तथा संचालन सह संयोजक नीरज भारद्वाज ने की l "समस्तीपुर विकास मंच " के संयोजक राकेश कुमार ठाकुर ने कहा कि प्रकृति, पुरुषार्थ, ओज, शौर्य, प्रेम और सौंदर्य के कवि दिनकर ने पूरे संसार मे हिंदी साहित्य को प्रतिष्ठित करने का काम किया एवं दिनकर की रचना को जन जन तक पहुंचाना एवम उनके आदर्शों को प्रचारित करना ही दिनकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि दिनकर का पहला काव्यसंग्रह ‘विजय संदेश’ वर्ष 1928 में प्रकाशित हुआ l इसके बाद उन्होंने कई रचनाएं की l उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘हुंकार’ और ‘उर्वशी’ हैं l उन्हें वर्ष 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया l उन्होंने कहा कि दिनकरजी का पूरा साहित्य खेत और खलिहान से निकला है। गांव और गरीब से निकला है जो सबको स्पर्श करती हो। जो कल, आज और आने वाली कल को भी स्पर्श करती है। वो न सिर्फ उसको पढ़ने वाले को स्पर्श करती है, लेकिन उसकी गूंज आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्पर्श करने का सामर्थ्य रखती है l अपने सम्बोधन के क्रम में सह संयोजक नीरज भारद्वाज ने कहा कि दिनकर का पहला काव्यसंग्रह ‘विजय संदेश’ वर्ष 1928 में प्रकाशित हुआ l इसके बाद उन्होंने कई रचनाएं की l उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘हुंकार’ और ‘उर्वशी’ हैं l उन्हें वर्ष 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया l पद्म भूषण से सम्मानित दिनकर राज्यसभा के सदस्य भी रहे l वर्ष 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ सम्मान भी दिया गया l देश की आजादी की लड़ाई में भी दिनकर ने अपना योगदान दिया l वह बापू के बड़े मुरीद थे l हिंदी साहित्य के बड़े नाम दिनकर उर्दू, संस्कृत, मैथिली और अंग्रेजी भाषा के भी जानकार थे l वर्ष 1999 में उनके नाम से भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया l मौके पर समस्तीपुर विकास मंच के मीडिया प्रभारी रंजीत कुमार रम्भू , प्रखंड संयोजक मनोज कुमार राय तथा दीपक कुमार भी मौजूद थे l समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अमरदीप नारायण प्रसाद की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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