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शोध पर आधारित : लोगों में पीआईयू के बढ रहें मामले : डॉ॰ मनोज कुमार


राजेश कुमार वर्मा 

पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 20 अप्रैल,20 ) । अब लोग टेलीविजन के बजाए इंटरनेट पर ही विडीयोज देखना पसंद कर रहे।नेटक्लिपस,यूट्यूब इत्यादि पर बच्चों द्वारा निर्भरता ज्यादा बढ रही। इंटरनेट पर निर्भरता हर उम्र के लोगों पर बढ़ रही हैं।
पटना के मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार इस संदर्भ में बताते हैं कि 6 वर्ष से लेकर 45 साल के लोगों में इंटरनेट का क्रेज है। इस समस्या से पीड़ित लोगों के लक्षणों के संदर्भ में वह बताते हैं की पीआईयू से पीड़ित लोग अवास्तविक दुनिया में जी रहे होते हैं। उनकी भाषा में लङखङहाट,चिङचिङे तरीके से किसी की बातो का जवाब देना,कंन्फ्यूज ज्यादा रहना,खाना बिना चबाये निगलना,हर वक्त सोचते हुए कोई काम करना,सुस्त रहना और रोजमर्रा के कामों में कम दिलचस्पी लेना उनकी आदत में शुमार होता है। 
एक घर में रहने के बावजूद इस समस्या से पीड़ित लोग आपस में बातचीत नहीं करते।इनमें आपसी रिश्ते में गलतफहमी बढ जाती है। ये बताते हैं की 
शरीर पर होता है पीआईयू का व्यापक असर होता है।वह कहते हैं की इस समस्या से पीड़ित लोगों में उनके आंखे लाल रहना, मांसपेशी में खिंचाव व दर्द महसूस होना,नींद उचटना व भूख में ढेर सारी कमियां होना इत्यादि लक्ष्ण देखने को मिलते हैं।
: हर बात के लिए टेक्नोलॉजी पर बढती निर्भरता बन रही वजह
वर्तमान समय में हर किसी को इंटरनेट पर आश्रित होना कम खतरनाक नही है। यह बात दीगर है की लोग स्कूल-कालेज की फीस,बैकिंग सुविधाएँ व अन्य प्रकार के व्यवसाय से जुङे लेन देन टेक्नोलॉजी द्वारा ही कर रहें ।इस तरह की आदतें लोगों में निर्भरता बढाकर उनकी सर्जनात्मक शैली को कम कर रहा।लोग किताबों से दूरी बनाकर आनलाइन ज्यादा पढना चाहते हैं जिससे उनमें शब्दों को याद रखने की क्षमता प्रभावित हो रही।विशेषज्ञों का मानना हैं कि ऐसे हालात में उनमें आगे जाकर किसी जाने पहचाने प्रश्नोत्तर में निरूत्तर होने की संभावना बढ जा रही है।
: आपसी संवाद में कमी
पीआईयू के बढते मामले लोगों में आपसी संवाद के दायरे घटा रहा है।एक अध्ययन के मुताबिक लोगों में फोन पर बात करने की अपेक्षा चैट मैसेज को लोगों द्वारा ज्यादा तव्वज्जो दिया जा रहा।जिससे लोग अप्रत्यक्ष रुप से जुड़ा महसूस कर रहें और उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति शिथिल हो रही है।
: सोसाइटी का दबाव
अत्यधिक सोशल मीडिया के उपयोग एक दुसरे में नये संबंधों में उत्सुकता प्रदान कर रहा वहीं पुराने रिश्तों के लिए अपर्याप्त समय देकर एक दुसरे से आगे निकलने के लिए अप्रत्याशित चुनौती भी दे रहा।लोग पुराने संबंधों को छोङकर नये संबंध पर खुलकर ध्यान दे रहें हैं जो की उनके आत्मविश्वास को अपरिपक्क बना रहा।
: घरेलू कलह व परिवार का विस्थापन
रोजमर्रा के कार्य भी यह समस्या परोक्ष रूप से प्रभावित कर रहा।अत्याधिक इंटरनेट के उपयोग से लोग क्वालिटी समय परिवार को नही दे रहें जिससे परिवार में असंतोष व्याप्त है। इस तरह के भी मामले बढे हैं जिसमें यह देखा गया है की परिवार के लोग आपस में अकारण ही अपना नियंत्रण खोकर लङ जा रहे हैं। परिवार के सदस्य एक दुसरे पर कम भरोसा व उनमें अनुपयोगी गुणो को ज्यादा महत्व दे रहे हैं जिससे अपेक्षाएं बढ रही और लोग आपस में उलक्ष रहें हैं ।
: दिन-प्रतिदिन की जीवनशैली हो रही प्रभावित  
पीआईयू के बढते मामलें लोगो में उनके प्रतिदिन के जीवन को उलट कर रख दिया है। लोगों में उठने बैठने का रूटीन बेताहाशा परिवर्तित हुआ है। देर तक सोना और भूख से कम खाना इनमें शामिल हैं। नींद के कुछ रोग भी लोगों को परेशान कर रहा।
: संभव हैं समाधान ।
-हर दिन अपना समय इंटरनेट के उपयोग के लिए निर्धारित करें।
-अपने रूटीन में एक बार परिवार से बात करें।
--खाना पूरी तरह चबा कर खायें।
--जब आप इंटरनेट पर कुछ सर्च कर रहें तो मन में विषय को निर्धारित कर लें ताकि अनावश्यक दुसरे कंटेट पर आपका ध्यान न जाये।
-हर बार एक घंटे के इंटरनेट प्रयोग पर पांच मिनट का ब्रेक लें।
--लेखक डॉ॰ मनोज कुमार, क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक,पटना (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ) हैं। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा डॉ० मनोज कुमार की शोध पर आधारित आर्टिकल सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar Verma

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