अपराध के खबरें

मकसद जो रह गयीं, कुछ- कुछ अधूरी


         प्रमोद कुमार सिन्हा 
              बेगूसराय
मकसद जो रह गयी,
कुछ कुछ अधूरी 
हो ना सकी,
दृढ़ इक्षा पूरी ।

तब्लीगी ज़मात ने,
कोई कोर कसर 
ना है छोड़ी,
मानव बम बनकर
स्वमेव भी डूबे,
समाज को भी ले डूबे ।
दी गयी शिक्षा थी,
या कोई षड्यंत्र
है तमाम पहलू पर 
खोजबीन ज़रूरी ।
देश पुरा झुलस रहा,
जमातियों ने कोर कसर
कोई ना छोड़ा ।
उल्टे अलग अलग, 
हैँ राग अलापते 
बहस करने में,
जरा भी ना शरमाते ।
एक ओर विकास
की ओर बढ़ता कदम,
दूसरी तरफ 
बीस बरसों तक
कम से कम
रुक गया कदम ।
फिर भी ना रुकेंगे,
ना झुकेंगे
हरायेंगे भगाएँगे 
यहाँ से कोरोना का दम ।
अग्रगण्य विश्व में,
होगा दृढ शक्ति भारत का 
हर एक अगला कदम 
सबका टिकेगा नजर  
हर एक पहलू पर 
रखेगा सूक्ष्म नजर ।
देगा दिशा विश्व को,
शांति का अटल संदेश
इसी संदेश पर 
चलते नजर आएंगे हर देश ।
आतंकबाद मिटाना है,
विश्व का नारा होगा
मुखर होगा अगर कोई देश,
प्यारा भारत देश हमारा होगा । 
               समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की कविता सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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