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लॉक डाउन में भी पेट भरने के लिए कचरे चुन रहे हैं नौनिहाल


 रंजीत कुमार की रिपोर्ट 

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 12 अप्रैल,20 )।
देश में एक और जहां कोरोना वायरस से फैलने वाली बीमारी तेजी से पांव पसार रहे हैं। वहीं सरकार के द्वारा बीमारी से बचने के लिए तरह-तरह के हिदायत दी जा रही है। साथ ही की देश में लॉक डॉन की घोषणा की गई है। शासन से लेकर प्रशासन तक लोगों को घर से बेवजह नहीं निकलने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही सरकार के द्वारा गरीब असहाय व्यक्तियों की सहायता दी जा रही है। इसी कड़ी में समस्तीपुर जिला में देखने को मिला कि 8 से 10 वर्ष के छोटे-छोटे बच्चे पेट भरने के लिए कचरे चुन रहे हैं। क्या उनके लिए सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है..? कलम पकड़ने की उम्र में यह छोटे बच्चे अपने पेट पालन के लिए गली मोहल्ले घूम घूम कर कूड़े के ढेर से कचरे चुनकर अपना रोजी-रोटी चलाते हैं। यह बहुत ही सोचनी है बात है कि बार-बार सरकार के द्वारा कोरोना वायरस से बचाव को लेकर साफ सफाई पर ध्यान देने की बात कही जा रही है। लेकिन इन बच्चों को क्या..? ये तो दिन भर अपनी जिंदगी कूड़े कचरे के ढेर पर ही बिताते हैं। क्या इससे संक्रमण फैलने की खतरा नहीं है..? अगर हां तो सख्ती से लॉक डाउन का पालन करने के लिए सबसे पहले इन गरीब असहाय लोगों को सहायता करने की जरूरत है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा रंजीत कुमार की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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