हर तरफ उठती है अब शशंकित नजर,
कहीं मुझे दे तो ना रहा है कोई जहर ।
कोरोना ने सबको किया है अलग थलग
कहीं ढा ना दे हमारे परिवार पर कहर,
हर तरफ उठती...........।
कैसा ये खेल हो गया संसार में निराला
मिट गया भेद सबका गोरा हो या काला
अनगिनत भेंट चढ़ रहे हैँ काल का,
विरान सुनशान दिख रहा हर शहर,
हर तरफ उठती............।।
भूख से बिलबिला रहें हैँ कोई कोई,
ऊपरी मंज़िल से भी छलांग लगा रहें हैँ
कबतक संभाल पायेगी सरकार इसे,
तबाही मच रहा है विश्व में हर पहर,
हर तरफ उठती..........।।
चीन से फैला या षड़यंत्र फैलाया गया,
दो सौ से भी अधिक देश में पाया गया,
तात्कालिक अभीतक है ना कोई दवाई
मौत की साया में जूझ रहा सभी नगर,
हर तरफ उठती...........।।
अमीर -गरीब का भेद अब मिट गया,
दाह -संस्कार से भी लोग खिसक गया,
अब बैकल्पिक व्यवस्था से चल रहा है,
प्रमोद चार चचरी नहीं गाड़ी का शफर ।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma