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मोह-माया को छोङकर और अपने वचन को निभाने के लिए वन की ओर प्रस्थान करने वाले व्यक्तित्व के स्वामी हैं राम : डॉ० मनोज कुमार मनोवैज्ञानिक चिकित्सक


राम का नाम आते ही मन में एक ऐसे महामानव का चरित्र चेतना में घुमङने लगता हैं जिन्होंने अपने मर्यादा के लिए राजकाज त्याग दियें।

राजेश कुमार वर्मा 

पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 02 अप्रैल,20 ) । राम का नाम आते ही मन में एक ऐसे महामानव का चरित्र चेतना में घुमङने लगता हैं जिन्होंने अपने मर्यादा के लिए राजकाज त्याग दियें।
  मोह-माया को छोङकर और अपने वचन को निभाने के लिए वह वन की ओर प्रस्थान कर गये।यह एक ऐसे व्यक्तित्व रहें हैं जिन्होंने अपने संयुक्त परिवार में बङे होने के बावजूद भी इन्होनें सभी भाइयों को बराबर समझा ।पिता के आज्ञा व उनके वचन को निभाने अकेले ही चलने लगे।इनके व्यक्तित्व के शीलगुण इतने प्रभावशाली रहें हैं कि उनकी धर्मपत्नी और भाई भी उनके साथ कांटों भरे रास्ते पर चलने के लिए सहर्ष ही तैयार हो गये थे।राजा का पुत्र होने के बावजूद हमेशा दुसरों के दुःख से दुःखी होनेवाले मर्यादापुरुषोत्तम राम ही थे जिन्होंने शत्रु को भी वार करने का समान मौका दिया।धरती ,पेङ -पौधे और पर्यावरण की चिंता करने वाले वह राम ही थे जिन्होंने अपने शाही जीवन में सोने के थाली में निवाला लेते रहने के आदि होने के बावजूद वन में कंद-मूल खाकर पिता को दिये वचन को निभाया।उन्होनें इतना ज्यादा विषम परिस्थितियों में भी रहकर कभी ईश्वर को नही कोसा और ना ही भाग्य को द्वोषी ठहराया। वह हर वक्त समय के साथ चलते गये।वह अपने मन में कभी किसी के प्रति नफरत नही रखें चाहे वो शत्रु ही क्यो न हो।सबको समान अवसर और हमेशा अपने देशवासियों को अपना ही परिवार माना।संपूर्ण विश्व के लोगों को राम के व्यक्तित्व से धैर्य की प्रेरणा लेनी चाहिए।विपरीत परिस्थितियाँ व्यक्ति को स्थिर परंतु लापरावाह बनने से रोकती हैं। सभी समस्या का समाधान मालूम रहने के बावजूद भी उन्होंने लंबे रास्ते ही तय किये।मदद लिये भी और सहयोग करने का गुण भी दिखायें।अपनी करूणा और समर्पण की भावना ही उनको राम से श्रीराम का दर्जा दिलाती है। राम एक आम इंसान हैं परंतु जब व्यक्ति अपने शील से आचरण को संभालता हैं और उससे निकली उर्जा का सदुपयोग जगत के लोगों के कल्याण के लिए करता है तब वह इंसान श्रीराम के गुणों से स्वयं को जोङ लेता है। माथे पर एक अलौकिक तेज लेकर वह दुसरों की रक्षा करता है। आज का दिन सिर्फ जयकारे लगाने के लिए ही काफी नहीं है। संपूर्ण विश्व में फैले दुःख और लोगों में गलत चीजों से जुङती आसक्ति को कम करने के लिए भी है। इस ख्याल से श्रीराम द्वारा दिये गये मार्ग पर चलकर और करूणा का सागर बनकर लोगों के दुःखों को मरहम लगाने के प्रण लेने से है। इस दुनिया में लोगों के मन से विषाद और घृणा को मिटाने से है। समाज में जाति-पाति,ऊंच-नीच व अन्य भेदभाव खत्म कर एक नया रामराज्य स्थापित करने का दिन भी है। हम सब में भी श्रीराम बसते हैं जब हम कुछ अच्छा करना चाहते है। दुसरों के जीवन में बदलाव लाना और मानव सेवा में समर्पित भाव रखना ही हम सब को राम से श्रीराम बनने का मार्ग प्रतित कराता है। आप और आपके परिवार को रामनवमी की अनेकानेक बधाई डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक, पटना ने मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय को वाट्सएप माध्यम से दिया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar Verma

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