प्रमोद कुमार सिन्हा
आत्म गौरव की जिसे नहीं है भान,
वो नर नहीं पूँछ बिना पशु समान ।
ठिठोली पाकर सभी से जहाँ में वह,
दिन रात सहता रहता जो अपमान,
आत्म गौरव............ ।
अपना वज़ूद आप ही कायम करना है,
वफादार व समाज में सद्भाव जगाना है
हो सके बुराई से हमेशा दूर दूर रहना ,
खुद की बुराई ही है सबसे बढ़कर खान
आत्म गौरव......... ।
आत्म सम्मान सा कर्म कर दिखाना है,
राष्ट्र की धरोहर हैँ चुप भी नहीं बैठना है
महापुरुषों की जमीं ऋषियों का गोत्र है
झुकना नहीं हमें हैँ ऋषियों की संतान,
आत्म गौरव..........।
अपनी अपनी अलग अलग हो पहचान
आत्म सम्मान मिले सबको रहे ये ध्यान
अंतरी संतरी मंत्री हो या रिक्शा चालक
प्रमोद सम्मान सभी का है ये ईश ज्ञान
आत्म गौरव....।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की कविता सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma