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अनिश्चितकालीन हड़ताल सम्मानजनक वार्ता के साथ समाप्त करायें शिक्षामंत्री : सिद्धार्थ शंकर



शिक्षा मंत्री द्वारा हड़ताल के संदर्भ आम जनों को गुमराह किया जाना कहीं से उचित नहीं

वित्त मंत्री ने नियोजित शिक्षकों के वेतन के संबंध में जो ब्यान दिया है, उसके संबंध में उन्हें सत्य से अवगत कराना आवश्यक 

सुदर्शन कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 04 अप्रैल, 20 ) । बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद  केदारनाथ पांडेय एवं महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने एक संयुक्त ब्यान में कहा कि बिहार सरकार के माननीय वित्त मंत्री ने नियोजित शिक्षकों के वेतन के संबंध में जो ब्यान दिया है, उसके संबंध में उन्हें सत्य से अवगत कराना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य के नियोजित शिक्षकों को पिछले तीन-चार महीने से वेतन भुगतान शिक्षा विभाग नहीं कर रहा है। हड़ताल के बहाने शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को कार्यरत अवधि का भी भुगतान नहीं कर मानवाधिकार का उल्लंघन किया है। क्योंकि वेतन पर केवल कार्यरत कर्मी का ही हक नहीं बनता वरन उनके आश्रित सहित पूरे परिवार को भी दो रोटियां में मयस्सर है। संवेदनहीन शिक्षा विभाग शिक्षकों के बाल-बच्चों के इस महामारी की गंभीर परिस्थिति में भूखे मार देने का अपराध कर रहा है। इस आश्य की जानकारी देते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य सह युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि बिहार सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री बार-बार यह कहकर राज्य की जनता को गुमराह कर रहें हैं कि यह हड़ताल समाप्ति के लिए वार्ता करने को तैयार रहते हैं जबकि वस्तुस्थिति यह है कि उनका कोई भी संदेश न लिखित और न मौखिक ही शिक्षक संघ/संगठनों को प्राप्त हुआ है। वे  अभी भी एकतरफा शिक्षक संगठनों को बदनाम कर रहे हैं।आज हड़ताल की स्थिति में भी शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता के कारण ही पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि पाँच वर्षों से लगातार शिक्षा विभाग को बार-बार सेवा शर्त नियमावली बनाने के आग्रह के बावजूद शिक्षा विभाग ने सेवा शर्त नियमावली बनाने का काम पूरा नहीं किया है जिससे शिक्षकों को अपने भविष्य के प्रति चिंता सताती रही है और ना तो उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रबंधन की नीति ही बनाई और ना तो उनके वेतन भुगतान के लिए सरलीकरण की प्रक्रिया ही अपनाई गई और तो और राज्य के कई जिलों में छः महीनों से शिक्षकों के वेतन भुगतान लंबित हैं । उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सबसे अहम और गंभीर बात तो यह है कि सूबे बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सदन के अंदर और बाहर भी सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने की घोषणा तथा समय समय पर  वेतन वृद्धि का स्पष्ट आश्वासन का भी पालन शिक्षा विभाग द्वारा नहीं किया जाना काफी खेदजनक है। इससे यह प्रमाणित होता है कि शिक्षा विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को गुमराह किया है।बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के शीर्षस्थ नेता द्वै ने माननीय मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को लगभग 15 से अधिक पत्रों के  द्वारा उनका ध्यान आकृष्ट कराया है। वैश्विक आपदा जैसे कोरोना लॉकडाउन की जानलेवा गंभीर परिस्थिति में माननीय मुख्यमंत्री ही हस्तक्षेप कर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की औचित्यपूर्ण मांगों को स्वीकृत करने और शिक्षकों पर हुए दमनात्मक एवं दंडात्मक कार्रवाई वापस करने का फैसला करने के लिए सक्षम हैं। इसलिए शिक्षा विभाग और उसके मंत्री किसी भी प्रकार की बहानेबाजी बंद कर मानवता के व्यापक हित में विशेष परिस्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल  सम्मानजनक वार्ता के द्वारा समाप्त करावें। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुर्दशन कुमार चौधरी की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh Kumar verma

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