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जानें ""आखिर कैसे लॉकडाउन ने खोलें शिक्षा जगत में क्रांति के द्वार"

कवि विक्रम क्रांतिकारी 

दोस्तों कोविड -19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण आज हम लॉकडाउन का पालन ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं आज देश के सभी स्कूल कॉलेज और महाविद्यालय बंद होने के बावजूद हम अपने घरों में डिजिटल क्रांति मतलब ऑनलाइन माध्यम से हम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं 

प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी पहल 'डिजिटल इंडिया'ने सरकार सरकारी सेवाओं और आम नागरिकों के बीच की दूरियां मिटा दी है अब डिजिटल लर्निंग के विस्तार से विद्वान अध्यापकों और सुदूर देहात में रह रहे जिज्ञासु विद्यार्थियों के बीच की दूरियां भी खत्म हो गई है 

राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित 

 नई दिल्ली, भारत ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 27 अप्रैल,20 ) । दोस्तों कोविड -19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण आज हम लॉकडाउन का पालन ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं आज देश के सभी स्कूल कॉलेज और महाविद्यालय बंद होने के बावजूद हम अपने घरों में डिजिटल क्रांति मतलब ऑनलाइन माध्यम से हम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं सभी विश्वविद्यालय स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रही है प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी पहल 'डिजिटल इंडिया'ने सरकार सरकारी सेवाओं और आम नागरिकों के बीच की दूरियां मिटा दी है अब डिजिटल लर्निंग के विस्तार से विद्वान अध्यापकों और सुदूर देहात में रह रहे जिज्ञासु विद्यार्थियों के बीच की दूरियां भी खत्म हो गई है मेरे आत्मीय मित्रों मैं खुद पिछले 3 वर्षों से देश के हजारों वंचित व जिज्ञासु छात्र छात्राओं को डिजिटल माध्यम से पढ़ा रहा हूं व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी सभी को समय पर नोट्स पहुंचाने का भरपूर प्रयास कर रहा हूं l
दोस्तों आज से पांच दशक पहले 1964 में प्रसिद्ध दार्शनिक मार्शल मैक्लुहान ने कहा था कि सीमाएं खत्म हो रही है और पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव में तब्दील हो रही है दोस्तों इस वैश्विक महामारी के कारण हम सब घरों में हैं लॉकडाउन के कारण देशभर में शिक्षण संस्थान विभाग के सामने दो रास्ते थे पहला रास्ता इसे छुट्टी के दिन मानकर लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार करते हैं जबकि दूसरा रास्ता था कि छात्रों की पढ़ाई बाधित ना हो और सभी शिक्षण संस्थानों ने दूसरे रास्ते को चुना और आज ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं संचालित हो रही हैं इसके अलावा टेलीविजन के माध्यम से भी दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि जिनके पास कंप्यूटर या इंटरनेट की सुविधा नहीं है वह भी पढ़ाई कर सकें कल्पना कीजिए दोस्तों की यदि देश-दुनिया ज्यादातर बड़ी यूनिवर्सिटी ऑनलाइन शिक्षा देने लगे तो छात्रों को अध्ययन के लिए दूसरे शहरों मे जाना नहीं पड़ेगा और काफी कम खर्च में गुणवत्ता की शिक्षा उनके अपने शहर या देश में मिल जाएगी और तब ग्लोबल विलेज और द डे डिस्टेंस की परिकल्पना पूरा हो जाएगी शिक्षा के क्षेत्र में भी इसीलिए उम्मीद के साथ विद्यार्थियों सुधार एवं अध्यापकों से अनुरोध है कि कोरोना को हराने के लिए अपने घरों में रहे और लगातार सीखना जारी रखें और इस लॉक डाउन मे शिक्षा जगत को क्रांति के द्वार के रूप में खोल दिया जाए l
आज दोस्तों हम लोग ऑनलाइन के जरिए शिक्षा दे रहे हैं और ले रहे हैं जिससे लॉकडाउन का भी पालन हो रहा है और हमारे समय का भी सही उपयोग हो रहा है दोस्तों ऑनलाइन शिक्षा आगे भी जरूरत रहेगा इस वायरस के बाद भी इस क्रांति को और बढ़ावा देने की जरूरत है इससे हम आने जाने का समय बचा सकते हैं घर बैठे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से हम दोस्तों सिर्फ देश की ही नहीं बल्कि विदेशों में भी दी जाने वाली उपयोगी शिक्षा भी हासिल कर सकते हैं जिससे हम अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं और बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं जैसे कि अगर मेरे शिक्षक ने कुछ पढ़ाएं उस वक्त हमें कुछ भी समझ में नहीं आता है तो हम वीडियो को दोबारा सुनकर समझ लेते हैं और अगर लाइव क्लास चलता है तो रिकॉर्डिंग करके दोबारा सुन लेते हैं l
इस नए परिदृश्य में संभावनाओं को नया आकार देने के लिए एचआरडी मंत्रालय ने अपने आपको तेजी से परिवर्तित किया है शिक्षा के डिजिटल प्लेटफॉर्म विद्यार्थियों की पहुंच बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने कई स्तरों पर प्रयास तेज कर दिए हैं मंत्रालय के ई- लर्निंग प्लेटफॉर्म के लिंक को प्रबंध करा रहे हैं देखा गया है कि लॉकडाउन के बाद नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी को 15 लाख से अधिक बार एक्सेस किया जा चुका है इस कड़ी में एनसीईआरटी के शिक्षा पोर्टल दीक्षा ई- पाठशाला ईपीजी पाठशाला जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण ऑनलाइन पहल भी है जो कि मैं खुद बहुत ज्यादा ई- पाठशाला का मदद लेता हूं कुल मिलाकर दोस्तों लॉक- डाउन ने शिक्षा जगत में डिजिटल क्रांति के लिए नए द्वार खोल दिए हैंl
कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख है । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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