अंतरराष्ट्रीय राजनीति में न तो स्थायी दोस्त और न दुश्मन होता है-शेफाली राय
मिथला हिंदी न्यूज़:- शाहपुर पटोरी अनुमंडल क्षेत्र के जी एम आर डी कॉलेज, मोहनपुर के तत्वावधान में शुक्रवार को चौथा ऑनलाइन बेवीनार लेक्चर 'कोविड-19 और विश्व राजनीति की उभरती प्रवृत्तियाँ' विषय पर आयोजित की गई। प्राचार्य सह अध्यक्ष डॉ घनश्याम राय ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के आई टी सेल के समन्वयक और विकास पदाधिकारी प्रोफेसर के के साहु ने मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रास बिहारी प्रसाद सिंह और राजनीति विज्ञान विभाग, पटना विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शेफाली राय, विशिष्ट अतिथि सह विषय प्रवेश वक्ता का स्वागत किया। प्रोफेसर सेफाली राय ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में न तो कोई स्थायी दुश्मन होता है और न स्थायी दोस्त। उन्होंने कहा कि 1962 भारत चीन युद्ध में रूस ने भारत को मदद नहीं किया जबकि 1971 में किया। मुख्यवक्ता प्रोफेसर रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि कोविड महामारी ने पश्चिम और यूरोप के विकसित देशों को घूटने के बल खड़ा कर दिया है। अमेरिका पहली बार स्पेनिश फ्लू को छोड़कर किसी महामारी से धराशायी हुआ है। अबतक देखा जा रहा था कि किसी महामारी से विकासशील और गरीब राष्ट्र प्रभावित होते थे और अमेरिका वेक्सीन बनाकर ऊंची दामों पर बेचता था।उन्होंने कहा कि चीन ने कई बार आंकड़ा बदला। दुनिया को गुमराह करता रहा। एकतरफ नवंबर दिसंबर 2019 में शेयर अचानक बढ़ने लगा लेकिन फरवरी और मार्च 2020 तक आते-आते अधिकांश देशों की कंपनियों के शेयर गिरने लगे। सभी शेयरों को चीन ने खरीदा। फरवरी से चीन ने जीवनोपयोगी सामानों को उत्पादन कर विश्व के देशों को निर्यात करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में सिर्फ भारत हीं एक ऐसा देश है जो अपने श्रमशक्ति, स्किल डेवलपमेंट, जॉब, तकनीकी के आधार पर इक्कीसवीं सदी के मध्य तक चीन को चुनौती दे सकता है। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का संचालन डॉ सूर्य प्रताप ने किया। कुल चौदह प्रतिभागियों ने दोंनो वक्ताओं से सवाल पूछे। बारह राज्यों के प्रतिभागियों ने चौथे वेब लेक्चर कार्यक्रम मे सक्रिय भाग लिया। विदित हो गूगल मीट एप से ऑनलाइन बेवीनार फ्री सेवा मात्र एक सौ भागीदारों तक सीमित है। जबकि ढ़ाई सौ फ्री सेवा दिखाया जाता है। वेब लेक्चर कार्यक्रम हैतु चार सौ से ज्यादा प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर स्वाति राय ने किया।