उधर, मध्य प्रदेश के गुना में 60 से अधिक मजदूरों को लेकर जा रहे एक ट्रक से विपरीत दिशा से आ रही बस टकरा गई! इनमें सवार 8 मजदूर कभी घर नहीं लौट सकेंगे, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह दुर्घटनाएं प्रमाण हैं कि ऐसे समय में भी परिवहन नियमों की पालन नहीं हो रही है। राजमार्गों पर गाड़ियां अंधाधुन दौड़ने लगी हैं। ठीक इसी प्रकार बिहार में मुजफ्फरपुर से कटिहार जा रही बस से ट्रक भिड़ गया! करीब 30 मजदूर घायल हुए और दो की मौके पर ही मौत हो गई। तीन राज्यों में हुए यह तीन हादसे एक ही तरह की लापरवाही के दुष्परिणाम हैं। जाहिर है इन मजदूरों के आश्रितों को पूरा मुआवजा मिलना चाहिए। ध्यान रहे, यह मजदूर अपनी वापसी के लिए स्वयं जिम्मेदार नहीं हैं। उनकी वापसी व्यवस्था का एक विफल पहलू है, व्यवस्था को इन दुर्घटनाओं की भरपाई करने के साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे हादसे दोबारा न दोहराएं जाएँ! इसके साथ ही उन दुर्घटनाओं के कारणों की जाँच तथा दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के निर्देश भी दिए जाएँ! यह जरूरी है कि इस आपदा की आड़ में नियम-कायदों से कोई खिलवाड़ ना हो। अंधाधुंध दौड़ रहे वाहनों की जाँच और पैदल चलते मजदूरों के मद्देनजर गति सीमा निर्धारित और लागू करने की जरूरत है। हमें सावधानी को अपने स्वभाव में डाल लेना चाहिए, इसके लिए देश के हर नागरिक और सरकारों को कमर कस लेनी चाहिए।Published by mithila hindi news
24 घंटे से भी कम समय में अनेक दुर्घटनाएं हुई हैं, 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 16 से ज्यादा लोगों की जान चली गई
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May 15, 2020