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छलावा न करे सरकार, जो भी मजदूर लौटना चाहते हैं, उनके मुफ्त लौटने की गारंटी करे - माले


जनांदोलनों के दवाब में केंद सरकार प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर भेजने पर तो सहमत हुई लेकिन अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन में वह छलावा कर रही है : सुरेन्द्र प्रसाद सिंह

राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट 

सच्चाई यह है कि लॉक डाउन के बाद फैक्ट्री बंद हो गए और पहले से काम कर रहे मजदूर भी सड़कों पर आ गए और वे तमाम तरह की परेशानी झेल रहे हैं। समझ से बाहर है कि सरकार इन्हें क्यों लाना नहीं चाहती..?

कर्नाटक में उन्हें कोरोना बम कहा जा रहा है. ये मजदूर अपने राज्य लौटना चाहते हैं, आखिर सरकार उन्हें क्यों नहीं लौटने दे रही है? ऐसा लगता है कि मजदूर आदमी नहीं बल्कि पूंजीपतियों के बंधुआ हैं.

समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 04 मई, 20 )। भाकपा-माले जिला कमिटी सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि जनांदोलनों के दवाब में केंद सरकार प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर भेजने पर तो सहमत हुई लेकिन अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन में वह छलावा कर रही है. सिर्फ उन्हीं मजदूरों को वापस आने की इजाजत मिली है जो अचानक हुए लॉक डाउन के कारण देश के दूसरे हिस्से में फंस गये थे. जो पहले से वहां काम कर रहे हैं, उनको नहीं लाया जाएगा। सच्चाई यह है कि लॉक डाउन के बाद फैक्ट्री बंद हो गए और पहले से काम कर रहे मजदूर भी सड़कों पर आ गए और वे तमाम तरह की परेशानी झेल रहे हैं। समझ से बाहर है कि सरकार इन्हें क्यों लाना नहीं चाहती?
 बिहार के 40 लाख से ज्यादा मजदूर देश के अन्य दूसरे हिस्से में काम करते हैं. आज वे बेहद नारकीय जीवन जी रहे हैं, लगातार कोरोना के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं, इसकी चिंता सरकारों को बिल्कुल नहीं है. कर्नाटक में उन्हें कोरोना बम कहा जा रहा है. ये मजदूर अपने राज्य लौटना चाहते हैं, आखिर सरकार उन्हें क्यों नहीं लौटने दे रही है? ऐसा लगता है कि मजदूर आदमी नहीं बल्कि पूंजीपतियों के बंधुआ हैं. उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा सोमवार को जारी प्रवासी मजदूरों के लिए किराया देने वाले बयान को भी भ्रामक और छलावा बताया. मुख्य मंत्री ने कहा है कि दूसरे राज्यों से आने के बाद मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा और क्वारंटाइन के बाद जब मजदूर घर जाने लगेंगे उस समय ट्रेन से आने में हुआ खर्च उन्हें दिया जाएगा। मतलब, जो मजदूर अपने पैसे से बिहार लौटेंगे, उनका पैसा ही वापस होगा। जिनके पास पैसा नहीं होगा, वे कैसे लौटेंगे? आज मजदूर दूसरे राज्यों में दाने - दाने को मुंहताज हैं। उनसे किराया का पैसा जुटाने को कहना उनके साथ क्रूर मजाक है।
हमारी मांग है कि जो भी मजदूर लौटना चाहते हैं उनके लिए केंद्र सरकार पीएम केयर फंड से राशि मुहैया कराए, सेनेटाइज रेल की सुविधा प्रदान करे, 10 हजार लॉक डाउन भत्ता दे, मृतक परिवारों को 20 लाख मुआवजा दे और उनके काम की गारंटी करे.
इन मांगों पर भाकपा-माले सहित सभी वाम दलों के आह्वान पर 5 मई को 11 से 3 बजे तक जिले के सैकड़ों जगहों पर लाकडाउन का पालन करते हुए धरना दिया जाएगा । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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