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अबकी बार ईद का त्योहार हर किसी के लिए बनकर रहेगा यादगार



तुफैल अहमद (दलसिंहसराय)

मिथिला हिन्दी न्यूज़ परिवार की तरफ से पूरे मुल्क के तमाम मुस्लिम भाई-बहनों को ईद- उल-फित्र की तहे-दिल से मुबारकबाद। इन्सान की ज़िन्दगी में कोई न कोई पल उसके लिए एक यादगार लम्हा बनकर रहता है। ठीक इसी तरह इस बार का ईद-उल-फित्र का त्योहार सिर्फ़ व सिर्फ एक इन्सान नहीं बल्कि दुनिया के तमाम इन्सानों के लिए उसकी ज़िन्दगी में एक यादगार लम्हा बनकर रहेगा। इतना ही नहीं आने वाली हर नस्ल हर उस दौर में इस साल के ईद-उल-फित्र के त्योहार को जबतक दुनिया कायम रहेगी शायद लोग इसे भूला नहीं पायेंगे। हमारे मुल्क की एक सबसे बड़ी खासियत है कि यहाँ हरेक मजहब के मानने वाले लोग हमेशा से आपस में बिना किसी फर्क के आपसी भाईचारा कायम रखते हुए ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। हमारे मुल्क को किसी की बुरी नजर न लगे। हमसब हमेशा दुनिया की नज़रों में गंगा-यमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करते रहें। अब इसपर चर्चा होनी बहुत-ही ज़रूरी है कि क्यों इस साल के ईद-उल-फित्र की त्योहार को लोग हमेशा याद करेंगे क्योंकि मुसलमानों के लिए ईद-उल-फित्र का त्यौहार साल का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस त्योहार की अहमियत भी बहुत ही ज़्यादा होती है चूँकि हर मुसलमान पर रोज़ा रखना फर्ज किया गया है, इसलिए पुरी पाबंदी के साथ सभी लोगरमज़ान के महीने में पूरे एक माह रोज़ा रखते हैं और साथ ही साथ नमाज़ की पाबंदी, क़ुरआन पाक की तिलाबत व और भी इबादतें किया करते हैं जो इस्लाम बताता है। इस पाक व बाबरकत महीने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है। तब ईद-उल-फित्र की त्योहार मनायी जाती है। हर वह मुसलमान खुशनसीब है जिसे रमज़ान जैसा पाक व बाबरकत महीना नसीब होता है। बताने को तो बहुत सारी बातें हैं लेकिन उतनी तह तक जाने की ज़रूरत नहीं है इतना ही काफी है। इतनी बातों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है की ईद-उल-फित्र के त्योहार की इतनी अहमियत क्यों है। अब जरा सोचिए अभी के हालात में जहाँ एक तरफ पुरी दुनिया में कोरोना वायरस जैसी मोहलिक बीमारी फैली हुई है जिसपर अबतक काबू पाना बहुत ही मुश्किल दिखती है। ये बीमारी पुरी दुनिया में कहर बरपा रही है इससे बचने का सिर्फ व सिर्फ एक ही रास्ता दिखता है और वह है अपने-अपने घरों में पूरे एहतियात के साथ रहना। बताने को तो बहुत सारी बातें हैं मगर उतनी बातें अगर कही जाय तो इसपर एक पुरी किताब लिखी जा सकती है। बहुत ज्यादा नहीं बस सिर्फ इतना ही जान लिया जाय कि ऐसे हालात में जब दुनिया की सारी मस्जिदें बन्द पड़ी हैं। रमज़ान जैसे पाक महीने में जब लोग मस्जिदों में पाँचों वक़्त की नमाज़ व तराबीह नहीं पढ़ रहे हैं, लोग अपने-अपने घरों में ही नमाज अदा कर रहे हैं और सारी इबादतें कर रहे हैं। जहाँ ऐसे वक़्त में लोगों का एक जगह इकट्ठा होना खतरे से खाली नहीं है।तब भला ईद-उल-फित्र की नमाज़ मस्जिदों या ईदगाहों कैसे पढ़ी जा सकती है। जब लोग एक जगह इकट्ठा होकर ईदगाहों में नमाज़ अदा नहीं करेंगे, एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद नही दे सकते हैं। हर कोई अपने शहर,गाँव, मुहल्ले या कस्बों में चाहे जो जहाँ रहते हों अपने आस-पड़ोस के लोगों, दोस्तों या रिश्तेदारों के यहाँ नही जा सकते हैं एक-दुसरे को सेबईयां, मिठाईयां खिलाकर मुँह मीठा कर व कराकर ईद का मुबारकबाद देते हुए खुशीयों का इजहार नहीं कर सकते तो भला बताये की इस ईद के त्योहार को लोग कैसे भूला सकते हैं, और क्यों-न इस साल का यह ईद-उल-फित्र का त्योहार हमेशा यादगार रहेगा।

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