बछवाड़ा/बेगूसराय,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 02 मई,20 )। कानून का पालन करने एवं सुलभ न्याय दिलाने में एक अहम कड़ी के रूप में गांव के सरपंच एवं थाने की पुलिस की स्थापना की गती है। मगर जब सरपंच एवं पुलिस के के सामने हीं गांव के मुखिया कानून को हाथ में लेकर जघन्य अपराध करें और पुलिसिया कार्रवाई पीड़ित को हीं भुगतना पड़े तो इसे लोकतंत्र एवं कानून का मज़ाक हीं समझा जाएगा। इसका ताज़ा उदाहरण बछवाड़ा थाने के अरबा गांव में घटित हुआ है। जहां पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के उद्देश्य से ग्राम प्रधान नें अपने घर के समीप से गुजरते युवक को रोक कर अपने सहयोगियों के सहारे दो युवकों क्रमशः रामप्रवेश यादव एवं पप्पू यादव को रस्सी से बांध दिया। तत्पश्चात मुखिया के गुंडों नें गांव के हीं उक्त दोनों युवकों को बेरहमी से पिटवा कर अधमरा कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस भी बंधे युवकों को खोलने के बजाय मुखिया जी के साथ चाय पानी करते रहे। बाद में दोनों युवकों को पुलिस नें जेल भेज दिया है। अब रस्सी से बांध कर पीटे युवक की पत्नी कुमारी दयारानी उपरोक्त घटनाक्रम को लेकर एक अदद एफआईआर के लिए दर-दर भटकने को विवश है। उक्त महिला नें बताया कि पिछले तीन दिनों से थाने में चक्कर लगा रही हुं लेकिन मगर पुलिस नें मुखिया के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की जहमत उठाई है। ऐही है सुशासन बाबू की सरकार में पुलिसकर्मियों की कार्यशैली जो पीड़ितों को न्याय दिलाने के बजाए अपराधी बना दिया जाता है । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा राकेश यादव की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma