कटिहार से जगन्नाथ दास की खास रिपोर्ट।
बलरामपुर/ कटिहार:-पौराणिक कथाओं में कई जगह इस बात का जिक्र किया गया है की महिलाओं द्वारा अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखें गए व्रतों में बहुत शक्ति होती है। वट सावित्री का व्रत भी महिलाओं अपनी पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि के लिए करती हैं । वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को रखा जाता है, जो इस बार 22 मई को है। इस व्रत बृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है ।वट बृक्ष पर सुहागिने जल चढा कर कुमकुम, अक्षत लगाती है और पेड़ की शाखा चारों तरफ से रोली बांधती है पुरे विधि विधान से पूजा करने के बात सती सावित्री की कथा सुनती है इतना ही नहीं अगर दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही है तो वह भी इस व्रत के प्रताप से दूर हो जाते हैं । सुहागिन महिलाओं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिद जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करती हैं । वट सावित्री व्रत में वट और सावित्री दोनों का बहुत ही महत्व माना जाता है ।पीपल की तरह वट या वरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व होते हैं ।शास्त्रों के अनुसार वट में ब्रह्मा,विष्णु , महेश तीनों का वास होता है । वरगद के पेड़ नीचे बैठकर पूजन व्रत कथा सुनने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।वट वृक्ष अपनी और पति की लंबी आयु के लिए भी जाना जाता है ।इसलिए यह वृक्ष अक्षयवट के नाम से जाना जाता है ।वट सावित्री व्रत की पूजा लिए विवाहित महिलाओ वरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी होती है फिर सुबह नहाने के बाद पूरे 16 श्रृंगार करके दुल्हन की तरह सजधज कर हाथों में प्रसाद के रूप में थाली में गुड़ भीगें हुए चने ,आटे से बनी हुई मिठाई कुमकुम ,रोली,मोली 5 प्रकार के फल पान का पत्ता ,घी का दिया एक लौटे में जल और हाथ में पंखा लेकर वरगद के पेड़ के नीचे जाए। हिंदू धर्म के अनुसार वट सावित्री का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत ही महत्व है । इस दिन विशेष रुप से बरगद और पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन सावित्री नामक स्त्री अपने पति सत्यभामा के प्राण यमराज से भी वापस ले लिए थे।तभी से इस दिन वट सावित्री व्रत के रूप में पति की लंबी आयु के लिए मानाया जाता है । इस बार कोरोना वायरस लाॅकडाउन के चलते अपने- अपने घरों में वट सावित्री का पर्व मनाया।