करोना वायरस के दुष प्रभाव के बारे में लोगो को कविता के माध्यम से किया जागरूक।वैनी निबासी पवन कुमार ने लोगो को करोना से बचाब के उपाय के बारे में घर घर जा कर किया जागरूक।श्री कुमार ने लोगो से अपील किया कि आप अपने घर मे रहे ,सोसल डिस्टेन्स का पालन करे एवं सरकार द्वारा जो आदेश दिया जाता है उस पर अमल करें।क्यों कि अभी तक करोना बीमारी का दवा उपलब्ध नही है सिर्फ बचाव ही इसका मुख्य उपचार है।
इस महा बिपदा की घड़ी में सिर्फ आत्म सुरक्षा ही इस बीमारी का एक मुख्य कारक है।श्री कुमार द्वारा जो कविता लोगो को सुनाई जा रही थी ,वह बहुत ही प्रसंसनीय है।
कभी सोचा नहीं था,
ऐसे भी दिन आएँगें।
छुट्टियाँ तो होंगी पर
मना नहीं पाएँगे ।
आइसक्रीम का मौसम होगा,
पर खा नहीं पाएँगे ।
रास्ते खुले होंगे पर
कहीं जा नहीं पाएँगे।
जो दूर रह गए उन्हें
बुला भी नहीं पाएँगे।
और जो पास हैं उनसे
हाथ मिला नहीं पाएँगे।
जो घर लौटने की राह देखते थे
वो घर में ही बंद हो जाएँगे।
जिनके साथ वक़्त बिताने का
तरसते थे,उनसे ऊब जाएँगें।
क्या है तारीख़ कौन सा
वार,ये भी भूल जाएँगे।
कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी
बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे।
साफ़ हो जाएगी हवा पर,
चैन की साँस न ले पाएँगे।
नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट,
चेहरे मास्क से ढक जाएँगें।*
ख़ुद को समझते थे बादशाह,
वो मदद को हाथ फैलाएँगे।
क्या सोचा था कभी,
ऐसे दिन भी आएंगे।।
Published by Amit Kumar.