मोरवा/समस्तीपुर
अगर बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग के लिए अच्छे तैयारी सेंटर उपलब्ध रहते तो वे लोग कभी नहीं जाते कोटा। मंगलवार की रात प्रखंड मुख्यालय में अपने मन का दर्द व्यक्त कर रहे थे कोटा से वापस अपने घर लौटने वाले छात्र एवं छात्रायें। कोरोना के कारण लौक डाउन के दौरान बिहारी छात्र छात्राओं को जो जिल्लत झेलनी पड़ी, शायद कभी जीवन में फिर से नहीं झेलनी पड़ेगी। कोटा से वापस लौटने वाले सारंगपुर पूर्वी पंचायत की सुरभि कुमारी, सोंगर पंचायत की नव्या कुमारी एवं मोरवा उत्तरी पंचायत की सोनाली कुमारी ने बताया कि कोटा के तैयारी इंस्टिट्यूट में दूसरे प्रांतों से रहने वाले सारे छात्र छात्राओं को बहुत पूर्व उनके अपने प्रांतों की सरकारों द्वारा शीघ्र अनुमति मिल जाने के कारण उन्हें अपने घर बुला लिया गया। लेकिन बिहार सरकार द्वारा घर वापसी की अनुमति देने में बहुत देर किए जाने के कारण वहां रहने के दौरान , वहां के प्रबंधकों के द्वारा बहुत बुरा भला सुनना पड़ रहा था। वहां के प्रबंधकों के द्वारा राज्य सरकार द्वारा घर वापसी की अति शीघ्र अनुमति नहीं दिए जाने के कारण बिहार सरकार की तीखी आलोचनाओं को सुनते हुए सभी छात्र छात्राओं को अपना मन मसोसकर रहना पड़ रहा था। कभी अपने आप को बिहारी होने पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। तो कभी प्रबंधकों के प्रति आक्रोश उभड़ता था। लोक डॉउन के कारण पढ़ाई लिखाई ठप होने एवं उनके रहमों करम के भरोसे रहने के कारण उन्हें मन मसोसकर रहना पड़़ रहा था। लौक डाउन में केवल बिहारी छात्र-छात्राओं के रहने से मन ही मन झुंझलाये प्रबंधकों द्वारा बहुत बुरी भली बातें बोलने के बाद जो खाना दिया जाता था वह भी स्तर हीन हो गया था। लौक डॉउन के बाद फिर से कोटा वापसी की बात मत पूछे जाने पर अपनी आंखों में आंसू और दर्द छलकाते हुए छात्र-छात्राओं ने बताया कि अगर बिहार में अच्छे तैयारी सेंटर होते , तो वे सभी जीवन में कभी भी कोटा जाने का सोचते तक नहीं!