मिथिला हिन्दी न्यूज :-गर्मी के माैसम में एक बार फिर बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम ने दस्तक दे दी है। देश अभी कोरोना वायरस, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू जैसी वायरस जनित बीमारियों से ही लड़ रहा है. इसी बीच बिहार में फिर एक और भयावह बीमारी ने अपनी दस्तक दे दी है. पिछले साल 200 से ज्यादा बच्चों की जान लेने वाला चमकी बुखार फिर वापस आ गया है.
अब तक पांच बच्चे की मौत हो गई है
आपको बता दें कि इस बीमारी ने पिछले साल कई बच्चों की जान ले ली थी. जिसके बाद बिहार के स्वासथ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े हुए थे. एक ओर जहां कोरोना का संकट मंडरा रहा है वहीं अब चमकी बुखार भी बिहार में पैर पसारने लगा है. इस बार नीतीश सरकार के लिए इस बीमारी से निपटना कम आसान नहीं होगा क्योंकि चुनावी साल होने की वजह से विपक्षी दल इसे लेकर उन पर निशाना साध सकते हैं.बता दें कि गरमी के शुरू होने के साथ ही बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में जापानी बुखार अपनी दस्तक देना शुरू कर देता है. इससे बचने के लिए चमकी बुखार का टीकारकण करवाया गया था लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि राज्य सरकार की तरफ से किया गया यह दावा झूठा है और कई बच्चे अभी भी टीके से वंचित हैं.इसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार ने जिला के प्रभावित इलाकों में जांच टीम भेजकर सर्वे करवाया कि क्या वहां वाकई टीकारण हो गया है? जांच में पाया गया कि चमकी बुखार से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंडों में 10 से 50 फीसद तक बच्चे अभी भी जापानी बुखार के टीकाकरण से वंचित हैं.
इस साल फरवरी से मुजफ्फरपुर में विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी. इसके तहत जिले के शून्य से 15 वर्ष के सभी बच्चों को यह टीका लगाया जाना था. टीकाकरण के लिए तय समय के बाद राज्य मुख्यालय को संबंधित विभाग ने रिपोर्ट भेज दी कि जिले जापानी बुखार का सौ फीसद टीकाकरण हो गया है.
मगर जब राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिले के छह प्रखंडों में जेई टीकाकरण की जांच की तो उनका सामना ऐसे बच्चों से हुआ जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था. जांच में पता चला कि सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंडों में 20 से 50 फीसद तक बच्चों का टीकाकरण नहीं किया गया है. यह हाल तब है जब इन प्रखंडों के हरेक गांव में टीम जांच के लिए नहीं गई.