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विशाखा गैस लीक और ट्रेन द्वारा रौंदे गए मजदूरों की मौत हादसा नहीं सरकार प्रायोजित हत्या है - खेग्रामस


अमरदीप नारायण प्रसाद

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 09 मई,20 )। विशाखापट्टनम में जहरीली गैस से रिसाव के कारण लगभग 16 लोगों की मौत और 1000 लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कम से कम 17 प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा रौंद कर मार दिए जाने की वीभत्स घटना को खेग्रामस ने लाॅकडाउन जनसंहार कहा है और देशव्यापी धिक्कार व शोक दिवस मनाते हुए खेग्रामस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के जिला कमिटी सदस्य फूलेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि देशव्यापी आह्वान पर उजियारपुर प्रखंड के भगवानपुर देसुआ में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए खेग्रामस कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर उपर्युक्त दोनों घटना को महज दुर्घटना नहीं बल्कि सरकार प्रायोजित हत्या कहा है। खेग्रामस के कार्यकर्ताओं ने मारे गए लोगों के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया है।
धिक्कार दिवस को संबोधित करते हुए फूलेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचा सकती थी लेकिन वे रौंद दिए गए।
प्रवासी श्रमिकों के लिए दुखों व यातनाओं का कोई जैसे अंत ही नहीं है।
इन परिहार्य मौतों को रोका जा सकता था लेकिन , हमारी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को मरने-खपने के लिए छोड़ दिया है. ऐसा नहीं है कि सरकार व रेलवे प्रशासन को पता नहीं है कि प्रवासी मजदूर रेलवे ट्रैक पकड़कर ही वापस लौट रहे हैं. ऐसे में बिना जांच-पड़ताल के ट्रैक पर ट्रेन दौड़ा देना घोर आपराधिक कार्रवाई है।
 यह घटना सरकार प्रायोजित लाॅकडाउन जनसंहार है।
 उन्होंने कहा कि विशाखापट्टनम गैस रिसाव कांड भी घोर लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अवहेलना का ही नतीजा है।
यह देश भोपाल गैस कांड की भयावह त्रासदी झेल चुका है। उसकी मार अब तक हम झेले रहे हैं, लेकिन हमारे हुक्मरानों ने कोई सबक नहीं सीखा।
आज तक भोपाल गैस कांड के अपराधियों को सजा नहीं मिली है, न ही सभी मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा व अन्य सुविधाएं मिल पाई हैं. सुरक्षा मानकों की अवहलेना आम बात हो गई है। और इसके बदले में लोगों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ रही है।
विशाखापट्टनम में लापरवाही बरतने वाले एलजी पाॅलिमर और सरकारी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इस हादसे की जबावदेही तय की जानी चाहिए और मारे गए लोगों के परिवारों को उचित मुआवजा व हर प्रकार की सहायता की गारंटी व देखभाल होनी चाहिए।
बिहार में भी लाॅकडाउन के दौरान ट्रेन से कटकर दो युवकों की मौत हुई है। विगत 16 अप्रैल को अरवल जिले के वंशी प्रखंड के करवा बलराम गांव के बैजू यादव (उम्र - 21 वर्ष), पिता - रामजनेश यादव और सुबोध कुमार, उम्र (22 वर्ष) पिता राजेन्द्र साव; जो सीतामढ़ी में Glad Trading Private Limited कंपनी में घरेलू जरूरत के सामानों का प्रचार, बिक्री और ग्राहक बनाने का काम करते थे, लाॅकडाउन में फंस गए और फिर पैदल घर की ओर रवाना हुए।
छोटकी मसौढ़ी स्टेशन पर उन दोनों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गई. दोनों मृतक के परिजनों को 20 लाख का मुआवजा व सरकारी नौकरी देने की गारंटी करे नीतीश - मोदी की डबल ईंजन वाली सरकार।
धिक्कार दिवस में शम्भू गोस्वामी, चलित्तर महतो, योगेश्वर महतो, रामचंद्र महतो, रवि महतो, मुसाई महतो, सेवक सिंह, रामचंद्र सिंह, कारी पासवान, विश्वनाथ गोस्वामी, भूनेश्वर महतो, नवीन गोस्वामी, धर्मेंन्द्र महतो, राजकुमार पंडित और रणधीर गोस्वामी ने भाग लिया। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अमरदीप नारायण प्रसाद की रिपोर्ट सम्प्रेषित । 
Published by Rajesh kumar verma

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