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कोरोना संकट के बीच मिथिला में सुहागिनों ने वटवृक्ष की पूजा

चंदन कुमार मिश्रा 
मिथिला हिन्दी न्यूज :-करौना जैसे वैश्विक महामारी में लगे लॉक डॉन से सभी तबके के लोग इस बीमारी से बचने का हर संभव प्रयास करते हैं मिथिलांचल भी इससे अछूता नहीं है मिथिलांचल का प्रसिद्ध त्योहार बट सावित्री जेष्ठ अमोवस्या के दिन मनाया जाता है मिथिलांचल की महिलाओं के लिए यह त्यौहार अति महत्वपूर्ण है नवविवाहिता अपने पति के दीर्घायु की कामना के साथ इस पर्व को नई उमंग के साथ करते हैं जिस तरह से वटवृक्ष सैकरो वर्ष तक दीर्घायु रहते हैं इसी तरह महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं स्वस्थ रहने की कामना करते हैं पंडित चंदन कुमार मिश्र कहते हैं कि यह पर्व सनातन संस्कृति से ही चलता आ रहा है सती सावित्री की कथा प्रचलित है बहुत सारे प्राचीन विद्वानों ने बट वृक्ष को देव वृक्ष भी कहे हैं ऐसी मान्यता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा विष्णु और शिव का वास होता है उक्त बातें पंडित चंदन कुमार मिश्र ने कहा बट सावित्री पर्व के दिन स्त्रियां बहुत अधिक संख्या में वटवृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करते हैं लेकिन करौना जैसे वैश्विक महामारी में करौना से बचने के लिए वट वृक्ष का टहनी तोर करके गमला में मिट्टी भर के ही पूजा अर्चना किए वही बिना झा लाली ठाकुर लक्ष्मी झा मुनचुन देवी आदि महिलाओं ने कहा कि करौणा से बचने के लिए हम लोगों ने इसे अपनाया है

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