इसी तरह माता के आगमन और गमन के फलादेश में नवरात्र से अगले नवरात्र तक का फलादेश होता है परन्तु अक्सर अधिकतर विद्वान आश्विन नवरात्र से एक वर्ष तक का फलादेश करते है जो उचित नहीं या जानकारी के अभाव में ऐसा करते है, यही कारण है कि अधिकतर विद्वानों का फलादेश सही साबित नहीं हो पाती। इस बार आषाढ़ मास के नवरात्र 22 जून 2020 से प्रारंभ हो रही है जो 30 जून तक चलेगी।
देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। इस बार आषाढ़ नवरात्र में माता का आगमन सोमवार को गज पर हो रही है जबकि माता का गमन मंगल वार को मुर्गा पर है। माता का आगमन फल अच्छी वर्षा होने की संभावना है वहीं गमन फल शुभ का संकेत नहीं है इससे लोगो में व्याकुलता बढ़ेगी, अधिकतर त्राहि त्राहि मचने की प्रबलता है रोग में वृद्धि, युद्ध जैसे स्थिति प्राकृतिक अप्राकृतिक अनहोनी घटना की संभावना। प्रजा में हाहाकार आदि घटनाओं का संकेत है।