मिथिला हिन्दी न्यूज :-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक पापी ग्रह होता है, किसी भी जातक की कुंडली में इसकी उपस्थिति अशुभ और व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने वाली मानी जाती है। शनि साढ़े साती की गणना चंद्र राशि पर आधारित होती है। शनिदेव को 'कर्मफल दाता' रूप में माना गया है। ऐसा कहा जाता है मनुष्य जो भी कर्म करेगा उसका फल शनिदेव उसे देते हैं। इसलिए हर किसी को शनि से डरने की जरूरत नहीं है।जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ होता है, उन लोगों के लिए साढ़े साती का समय काफी फलदायक होती है और इस दौरान वैसे लोग बहुत तरक्की करते हैं।
साढ़े साती के समय अगर आपके काम रुकने लगे और लाख परिश्रम के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त हो, तो इसका मतलब है कि यह शनिदेव का प्रकोप है जो आपको पीड़ित कर रहा है। ऐसी स्थिति में जातक शनिदेव को खुश करने के उपाय करके अपने नुकसान और हो रही परेशानियों को कम कर सकता है।
साढ़े साती के चरण
अगर किसी व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी राशि में शनि की साढ़े साती चल रही है, तो यह सुनकर ही वह व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है। आने वाले समय में किस तरह की घटनाओं का सामना उसे करना पड़ेगा उसे ले कर तरह-तरह के विचार मन में आने लगते है।
शनि की साढ़े साती को लेकर अक्सर यह बात कही जाती है कि इसका प्रभाव केवल बूरा होता है जबकि ऐसा नहीं है इस आर्टिकल की शुरुआत में ही हमने आपको बताया था कि शनि देवता को कर्मदेव भी कहते है जो आपको आपके कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसीलिए इसका प्रभाव क्या होगा यह जातक के कर्मों पर निर्भर करता है।