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अनूप नारायण सिंह का विश्लेषण : जानिए बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक को ....

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-22 जुलाई 1954 को जन्‍मे श्‍याम रजक का लंबा राजनीतिक सफर है। वे 2015 में छठी बार विधायक बने। पहली बार राजद के टिकट 1995 में विधायक बने थे। इसके बाद 2000, फरवरी 2005, नवंबर 2005, 2010 तथा 2015 में विधायक बने। इतना ही नहीं, 1974 में हुए जेपी आंदोलन में भी श्‍याम रजक ने भाग लिया था। आपातकाल के खिलाफ जेल भी गए थे।
राजनीति के अलावा वे सामाजिक कार्यों में काफी रुचि रखते हैं। वे पहली बार राजद के टिकट पर 1995 में विधायक बने थे। 2015 में वे छठी बार विधायक बने। वर्तमान में जदयू से वे विधायक हैं। नीतीश कुमार के पिछले कार्यकाल में भी मंत्री थे और इसके पहले लालू-राबड़ी शासन में भी वे कई मंत्रालयाें को संभाल चुके हैं। एक समय था, जब श्‍याम रजक व रामकृपाल यादव राजद में थे और दोनों लालू यादव के मजबूत सिपाही थे। बाद में यह जोड़ी टूट गई। पहले श्‍याम गए जदयू में, बाद में राम चले गए भाजपा में। 22 जुलाई 1954 को जन्‍मे श्‍याम रजक का लंबा राजनीतिक सफर है। वे 2015 में छठी बार विधायक बने। पहली बार राजद के टिकट 1995 में विधायक बने थे। इसके बाद 2000, फरवरी 2005, नवंबर 2005, 2010 तथा 2015 में विधायक बने। इतना ही नहीं, 1974 में हुए जेपी आंदोलन में भी श्‍याम रजक ने भाग लिया था। आपातकाल के खिलाफ जेल भी गए थे।श्‍याम रजक सामाजिक कार्यों में श्‍याम रजक की काफी रुचि है। साउथ अफ्रिकन इंटरनेशन ट्रेड एक्जीबिशन में भाग लेने हेतु दक्षिण अफ्रीका का भ्रमण करने वाले श्‍याम रजक ने पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के नेतृत्व में कन्याकुमारी से दिल्ली तक पदयात्रा की थी। इसी तरह, रजक ने पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ विरद्ध अमृतसर से दिल्ली तक पदयात्रा की थी। वहीं, उड़ीसा के कालाहांडी में भूख से मरने के कारण वहां भी पदयात्रा कर इन्‍होंने सहायता कार्य में मुख्‍य भूमिका निभाई। सांस्‍कृतिक कार्यों में भी इनकी विशेष रुचि है। पटना के सब्‍जीबाग में जन्‍म लेनेवाले श्‍याम रजक ने काॅमर्स से स्नातक किया है। साथ ही अलका रजक से प्रेम विवाह किया है। श्याम रजक को मुंबई की एक लड़की अलका से प्यार हो गया था। पेशे से पत्रकार रही अलका और श्याम का प्यार बाद में शादी में बदल गई। लेकिन प्‍यार से शादी तक के सफर में सात साल लग गए। दरअसल दोनों की राहें आसान नहीं थीं। इनके बीच जाति का बंधन आड़े आ रहा था। समाज के डर से परिवार वाले दोनों की शादी के खिलाफ थे। दोनों ने अपने-अपने परिवार वालों को मनाया, तब जाकर शादी पर बात बनी।

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