कई बार जिंदगी में ऐसी परिस्थिति बन जाती है जहां हौसला टूट जाता है, मानसिक स्थिति कमजोर हो जाति है खुद को असहाय महसूस होने लगता है और भी कई कारण है। जिस कारण व्यक्ति आत्महत्या जैसे महापाप कर लेता है, खुद के जीवन लीला को समाप्त कर लेता है। इस तरह के लोगों का प्राण सात आयामों तक नहीं पहुंच पाता है, यह प्राण एक गोलाई लिए हुए गांठ बन कर घूमता है। ऐसे प्राण किसी चुंबक की तरह जीवधारी शरीर को अपने ओर खींचता है। उसके लायक शरीर मिल जाने के बाद वह शरीर अजीव हरकत करता है , जिसे कई लोग भूत लगना मानते है। ऐसे प्राण जीवधारी शरीर का खून सोखता है। वैसे विज्ञान इस को नहीं मानता है परन्तु यह भी सत्य है कि विज्ञान के पास कोई ठोस प्रमाण भी नहीं है। हमने फिल्म के माध्यम और किस्से कहानियों में भूत पर कई कहानी सुना है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में भूत है?
आखिर भूत क्या है? दोस्त , भूत का कोई शरीर नहीं होता है यह एक प्रतिबिंब है जो हमारे इस आंखो को आभास कराता है कि कुछ तो है और फिर हमारी मानसिकता में घुसता है सायद भूत है। स्थान पर भी निर्भर करता है उस स्थान के अनुसार हमारे मानसिकता में वह ऊर्जा अपना अनुभव कराता है। जैसे समशान के स्थान पर हमे नकारात्मक ऊर्जा भूत का अनुभव होगा परंतु धर्म स्थल पर हमे सकारात्मक ऊर्जा शक्ति किसी देवी देवता का आभास होगा। अब बात करते है भूत की, जिस तरह किसी यंत्र के माध्यम से आडियो वीडियो रिकॉर्ड करते है और उस यंत्र में हमारा आवाज या चेहरा रिकार्ड होता है लेकिन वास्तव में हम उस यंत्र में घुस नहीं जाते है या होते नहीं है। इसी तरह आत्म हत्या के माध्यम से शरीर से निकलने वाला प्राण सात आयाम तक नहीं पहुंच पाता और इस बायू मंडल में ही तैरता रहता है साथ ही इस तरह के प्राण को भौतिक शरीर त्यागने के बाद भी कई प्रकार से कष्ट झेलना पड़ता है जिस कारण वह फिर से किसी भौतिक शरीर को चुंबक की तरह अपनी ओर खींचता है और शरीर में घुसने के बाद अजीव हरकत करता है जिसे हम भूत लगना कहते है।
मृत्यु सभी का निश्चित होना है, और जिंदगी नसीब बालेे को ही मिलता है। जीवन को हर स्थिति परिस्थिति में संघर्ष करने में बिताए तो बेहतर है।
आत्म हत्या करना कायरता को बढ़ावा देना है अतः आत्म हत्या का विचार अपने मन में किसी भी प्रकार से पनपने न दे। हौसला बुलंद रखे। अपने अंदर के आत्म बल को जागृत करे।