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सात सुरों के सबसे बड़े फनकार मोहम्मद रफी की आज 40वीं पुण्यतिथि जानें दिलचस्प बातें

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-जैसा फनकार कोई दूसरा ना हो पाया। आज रफी साहब की पुण्यतिथि पर उनकी जिंदगी से जुड़ी ऐसी अनकही बातें जानिए जो उनकी गायकी के साथ व्यक्तित्व को भी बयां कर रही हैं। रफी साहब के निधन के 8 साल बाद उनकी पत्नी बिलकिस रफी ने एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने रफी के बारे में कई खुलासे किए थे।
बिलकिस की बड़ी बहन की शादी रफी के बड़े भाई से हुई थी। उस समय बिलकिस 13 साल की थीं और छठी क्लास के एग्जाम दे रही थीं। तभी उनकी बहन ने उनसे कहा था कि कल रफी से तुम्हारी शादी है। बिलकिस शादी का मतलब भी नहीं जानती थी। उस समय रफी की उम्र 19 साल थी और शादी-शुदा थे । लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था ।तब रफी की 6 साल छोटी लड़की बिलकिस से शादी कर दी गई थी। रफी साहब 10 साल की उम्र से गाना गाने लगे थे। लेकिन उनकी पत्नी को म्यूजिक में कोई इंट्रेस्ट नहीं था। वो कभी रफी के गाने नहीं सुनती थीं। रफी और उनकी पत्नी बिलकिस डोंगरी के एक चॉल में रहा करते थे। कुछ समय बाद रफी पत्नी के साथ भिंडी बजार के चॉल में शिफ्ट हो गए थेलेकिन रफी को चॉल में रहना पसंद नहीं था। रफी सुबह साढ़े तीन बजे उठकर रियाज करते थे। रियाज के लिए रफी मरीन ड्राइव चलकर जाते थे। क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनके रियाज की वजह से आस-पास के लोगों की नींद खराब हो।मरीन ड्राइव पर सुरैया का घर था। जब उन्होंने कई दिनों तक रफी को रियाज करते हुए देखा तो उन्होंने पूछा कि वो यहां क्यों रियाज करते हैं। तब रफी ने अपनी परेशानी बताई। इसके बाद सुरैया ने अपने घर का एक कमरा रफी को रियाज करने के लिए दे दिया था।रफी को जब काम मिलने लगा था तब उन्होंने कोलाबा में फ्लैट खरीद लिया। यहां वो अपने सात बच्चों के साथ रहते थे। रफी साहब को पब्लिसिटी बिल्कुल पसंद नहीं थी। वो जब भी किसी शादी में जाते थे तो ड्राइवर से कहते थे कि यहीं खड़े रहो। रफी सीधे कपल के पास जाकर उन्हें बधाई देते थे और फिर अपनी कार में आ जाते थे। वो जरा देर भी शादी में नहीं रुकते थे।
रफी साहब ने कभी कोई इंटरव्यू नहीं दिया। उनके सभी इंटरव्यू उनके बड़े भाई अब्दुल अमीन हैंडल करते थे। गाने के अलावा मोहम्मद रफी को बैडमिंटन और पतंग उड़ाने का बहुत शौक था। रफी साहब के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। रफी साहब के निधन से कुछ दिन पहले ही कोलकाता से कुछ लोग उनसे मिलने पहुंचे थे। वो चाहते थे कि रफी साहब काली पूजा के लिए गाना गाएं। जिस दिन रिकॉर्डिंग थी उस दिन रफी के सीने में बहुत दर्द हो रहा था। लेकिन उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया। हालांकि रफी साहब बंगाली गाना नहीं गाना चाहते थे। लेकिन फिर भी उन्होंने गया। वो दिन रफी साहब का आखिरी दिन था। उन्हें हार्ट अटैक आया था।
 मोहम्‍मद रफी ने अपनी अपनी पेशेवर जिंदगी में तकरीबन 26 हजार गीत गाये, और लगभग हर भाषाओ में। वर्ष 1946 में फिल्म 'अनमोल घड़ी' में 'तेरा खिलौना टूटा ' से उन्होंने हिन्दी फिल्म जगत के पायदान पर कदम रखे थे और उसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। शर्मीले रफ़ी और शम्मी सीधे-सादे और बहुत ही शर्मीले हुआ करते थे मोहम्मद रफ़ी। न किसी से ज्यादा बातचीत न ही किसी से कोई लेना-देना। न शराब का शौक न सिगरेट का। न पार्टियों में जाने का शौक, न ही देर रात घर से बाहर रहकर धूमाचौकड़ी करने की फितरत। एकदम सामान्य और शरीफ थे रफ़ी। आजादी के समय विभाजन के दौरान उन्होने भारत में रहना पसन्द किया। उन्होंने बेगम विक़लिस से शादी की और उनकी सात संतान हुईं-चार बेटे तथा तीन बेटियां।

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