अपराध के खबरें

बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की कलम सेफ़ुर्सत के पल में जरूर पढें दुनिया के बदलते परिवेश में मीडिया की भूमिका

संवाद 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- दुनिया के हर काल खण्ड में राजतंत्र हो या लोकतंत्र हो मीडिया विभिन्न स्वरुपों में दर्पण के रूप में समाज में स्थापित है।राष्ट्र समाज का हर व्यक्ति मीडिया के माध्यम से अपने समाज के साथ राज्य- राष्ट्र का बेहतर वर्तमान और भविष्य को देखता और तलाशता रहता है।लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर गहराई से नजर रखने के लिये मीडिया को चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है।18वीं शताब्दी के बाद से,खासकर अमेरिका में स्वतंत्रता आंदोलन, फ्राँसीसी क्रांति और रूस की क्रान्ति के साथ विश्व के कई बदलाव में महत्वपूर्ण सूचना जनता तक पहुँचाने और जनता को जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।फ़्रांस के शासक नेपोलियन बोनपॉर्ट भी मीडिया का काफ़ी सम्मान करते थे।दुनिया का तानाशाह हिटलर मीडिया को काफ़ी महत्व देता था।मीडिया अगर हमेशा सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, समाज , संस्था, और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक सहिष्णुता के साथ राजनीतिक रूप से समृद्ध और महाशक्ति बनाया जा सकता है।वर्तमान विश्व के पटल पर मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है।भारत के लोकप्रिय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व और उत्कृष्ट कार्यों के साथ विदेश में प्रधानमंत्री जी के यात्रा सम्बोधन के साथ भारत की बढ़ती ताक़त को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करता है।कभी भी कोई भी व्यक्ति, समाज, सरकार, वर्ग, संस्था मीडिया को नज़र अन्दाज़ कर आगे नहीं बढ़ सकत।कारण समाज में मीडिया सूचना और जानकारी का आइना होता है।आज हर इंसान के जीवन में मीडिया एक नितान्त ज़रूरत बन गया है।लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था,शिक्षा, चिकित्सा, तकनीकी विकास और सामाजिक सांस्कृतिक चेतना जागृतकरने में मीडिया को आगे आना होगा।लोकतंत्र अभिव्यक्ति के आज़ादी का अधिकार तो देता है लेकिन इस व्यवस्था में अधिकार के साथ-साथ दर्पण रूपी कर्तव्य भी चलते रहना हैं।मीडिया पर तो लोकतंत्र की ईमानदारी से पहरदारी का भी जिम्मा है, जिससे उसे इस गंभीर दायित्व से कभी भी मुहं नहीं मोड़ना होगा।राष्ट्र की एकता व अखंडता, प्रेम भाईचारा के साथ मानवाधिकार के मुद्दों को गम्भीरता से स्थान देना होगा। भारतीय समाज का जीवन मूल्य और सामाजिक व एतिहासिक संस्कृति को प्रवाहमान बनाए रखने की भूमिका का भी मीडिया को सत्यता से निर्वहन करना होगा।मीडिया को खुद जज बनने की प्रवृत्ति से बचना होगा।आज वर्तमान में आंशिक रूप में राष्ट्र और समाज के मुद्दे पर कभी कभी जज की भूमिका दृष्टिगोचर होता है।समाज के यथार्थ को यथावत सही रूप में प्रस्तुत करना मीडिया का मूल धर्म और कर्तव्य है।विकास के मुद्दों को उभारना और सकारात्मक ख़बरें छापना - दिखाना, आम आदमी की आवाज बनना और सबसे बड़ी भूमिका दृढ़ संकल्प के साथ निभानी होगी जिससे भारत का लोकतंत्र मजबूत रूप में पूरे विश्व का नज़र आए।राष्ट्र में सबको न्याय के साथ भागीदारी मिले और राष्ट्र में मीडिया के धर्म पर कभी कोई प्रश्न नही उठाए।हमें स्वीकार करना चाहिए कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक विकासशील देश में मीडिया का दायित्व केवल लोगों तक ख़बर पहुंचाना ही नहीं होता है बल्कि उन्हें विश्लेषणात्मक व विवेचनात्मक चेतना से समृद्ध करना भी होता है।मीडिया ने बराबर जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है।इसके लिए वह सम्मान व प्रशंसा का हक़दार है।अपवाद के रूप में कभी कभी लालच, भय, द्वेष, स्पर्द्धा, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को थोड़ा कमज़ोर भी किया है। व्यक्तिगत या संस्थागत निहित स्वार्थों के लिये चटपटी खबरों को तवज्जों देना और खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, घटनाओं एवं कथनों को द्विअर्थी रूप प्रदान करना, भय या लालच में सत्तारूढ़ दल को काफ़ी महत्व देना, अनावश्यक रूप से किसी की प्रशंसा और महिमामंडन करना और किसी दूसरे की आलोचना करना जैसे अनेक कार्य आंशिक रूप में आजकल मीडिया द्वारा कभी कभी किये जा रहे हैं।ईमानदारी, नैतिकता, कर्त्तव्यनिष्ठा और साहस से संबंधित खबरों को कम महत्व देना आजकल एकाध मीडिया का एक सामान्य लक्षण हो गया है। मीडिया के इस व्यवहार से समाज में कभी- कभी भ्रम की स्थिति पैदा होती है।मीडिया समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है।इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। मीडिया को पथप्रदर्शक की भूमिका में भी उपस्थित हमेशा होना चाहिये जिससे समाज एवं सरकारों को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे।समाज राष्ट्र के लिए सुखद पक्ष है की मीडिया समाज की नीति, परंपराओं, मान्यताओं तथा सभ्यता एवं संस्कृति के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता रहता है। पूरे विश्व में घटित विभिन्न घटनाओं की जानकारी समाज को मीडिया के माध्यम से ही मिलती है। अत: उसे सूचनाएँ निष्पक्ष रूप से सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करनी चाहिये।मीडिया अपनी खबरों द्वारा समाज एवं राष्ट्र के सरकार में असंतुलन एवं संतुलन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। मीडिया अपनी भूमिका द्वारा समाज में शांति, सौहार्द, समरसता और सौजन्य की भावना विकसित कर सकता है।वर्तमान में मीडिया की बहुआयामी भूमिका की ईमानदारी से समीक्षा करते हुए कहा जा सकता है कि मीडिया आज सुखद एवं दुखद दोनों भूमिकाओं में दृष्टिगोचर होता है।अब समय आ गया है कि मीडिया अपनी शक्ति का सदुपयोग जनहित, राष्ट्रहित में हमेशा करते हुए समाज के लोगों का मागदर्शन करे ताकि भाईचारे के साथ राष्ट्र की एकता - अखंडता चिरस्थाई रूप से अनंतकाल तक बना रहे।राष्ट्र के प्रति भक्ति एवं एकता की भावना को मज़बूत बनाए रखने एवं उभारने में भी मीडिया की अहम भूमिका सदेव अच्छी रहती है।मीडिया के पत्रकार अनेको बार वीरता,साहस के साथ बुद्धिमता का परिचय देते हुए अपनी जान की बाज़ी लगाकर ख़तरों के बीच समाचार का कवरेज करते है।उनके कार्यों की प्रशंसा होनी चाहिए।पत्रकारो के जोखिम भरें वीरता पूर्वक कवरेज की समीक्षा कर उत्कृष्ट ख़बर के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित करना चाहिए।मीडिया हाउस के द्वारा निचले पंक्ति के पत्रकारो का वेतन वर्तमान आर्थिक युग में उनके कार्यों के हिसाब से कभी कम है।जिसके कारण वे तनाव में रहते है।पत्रकारो का आर्थिक स्थिति अच्छी रहे इसके लिए मीडिया में स्थाई रूप से कार्यरत पत्रकारो के लिए केन्द्र या राज्य सरकार को हर वर्ष एक बजट पास कर आर्थिक पैकेज देना चाहिए। उनके बच्चों के नीशुल्क शिक्षा व्यवस्था सरकार द्वारा होना चाहिए।वर्तमान महँगी चिकित्सा व्यवस्था को देखते हुए मुफ़्त चिकित्सा इलाज की राशि की बढ़ोतरी करके दस लाख होना चाहिए।साथ ही एक सुधार सुझाव छोटे स्थानो के पत्रकारो को दूँगा की थाना एवं ब्लांक में बेवजह पैरबी से दूर रहे।इससे मीडिया का साख आम जनता में चर्चा से प्रभावित होता है। अंत में कहूँगा कि यह सत्य है आम जनता की आस्था जीतनी भगवान पर होती है उसी तरह आम जनता का विश्वाश दर्पण रूपी मीडिया के ख़बर पर होता है।हमें पूर्ण विश्वाश है की आम जनता का विश्वाश अनंतकाल तक बना रहेगा।
         प्रस्तुति अनूप नारायण सिंह

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live