मिथिला हिन्दी न्यूज :-विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस संभावना को स्वीकार किया है कि जानलेवा कोरोना वायरस हवा में फैल सकता है. इसे संबंध में 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने इस अंतरराष्ट्रीय संगठन से इसे लेकर कदम उठाने की अपील की है.
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस हवा में फैल सकता है जिसके बाद डब्ल्यूएचओ ने भी इस संभावना को स्वीकार किया. हालांकि इस वैश्विक संगठन ने कहा कि ऐसा कुछ स्थितियों में ही हो सकता है.
एक जर्नल में प्रकाशित ओपन लेटर में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के 2 वैज्ञानिकों ने लिखा कि कुछ रिसर्च से पता चला है कि सांस छोड़ने, बात करने और खांसी के दौरान हवा में वायरस फैलते हैं. बता दें कि डब्ल्यूएचओ लंबे समय से इस संभावना को खारिज कर रहा था कि कोरोना वायरस कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं को छोड़कर हवा में फैलता है.
डब्ल्यूएचओ का इससे पहले कहना था कि जब मरीजों को पहली बार सांस लेने में सहायक मशीन पर रखा जाता है, तब यह वायरस फैलने का खतरा होता है, लेकिन अब माना कि कोरोना वायरस हवा में भी फैल सकता है. स्वास्थ्य संगठन ने साथ ही कहा कि ऐसा किसी कोरोना संक्रमित मरीज के साथ इंडोर मतलब बंद दरवाजों और घर में रहने से हो सकता है.
अपने पिछले रुख बदलाव करते हुए डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को कहा कि रेस्टोरेंट और फिटनेस क्लास के दौरान कोरोना के प्रकोप का मूल्यांकन करने वाली रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस हवा में भी फैला होगा. ऐसा विशेष रूप से इंडोर स्थानों में मसलन कम हवादार स्थानों पर संक्रमित लोगों के साथ लंबे समय तक रहने से हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अधिकारियों ने बताया है कि वायरस फैलने के अन्य तरीके जैसे बंद कमरे में कोरोना संक्रमित लोगों के बीच संपर्क और वायरस वाली जगहों पर जाना भी शामिल है.
डब्ल्यूएचओ ने साथ ही कहा कि ऐसे वायरस का फैलना दुर्लभ ही है. कई वैज्ञानिकों ने कहा कि ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से ही वायरस फैला है, जैसे खांसी या छींकते वक्त सुरक्षा संबंधी उपाय ना करना.
अंतरराष्ट्रीय संगठन ने यह भी कहा कि बिना लक्षणों वाले लोग भी इस वायरस को फैलाने में सक्षम हैं. शोधकर्ताओं ने डब्ल्यूएचओ सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों से कोरोना वायरस के खिलाफ और ज्यादा कठोर सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने की अपील भी की.