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नागपंचमी : नागदेव की पूजा करें तो यह मंत्र अवश्य पढ़ें

पंकज झा शास्त्री 
मिथिला हिन्दी न्यूज :- नागपंचमी पर सर्पो का विशेष पूजा कर सर्प दोष के नाकारात्मक प्रभाव को कर सकते है कम, शास्त्र अनुसार 12 प्रकार के सर्प दोष होते है। यह जानना जरूरी है कि कुंडली में कोन सा सर्प दोष उपस्थित है। यदि यह जान लेने के बाद उस अनुसार विशेष पूजा करे तो और अधिक लाभ मिलना संभव है।

श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस खास तिथि पर सर्पों को दूध पिलाने की भी परंपरा है। नाग पंचमी के दिन वासुकी नाग, तक्षक नाग, शेषनाग आदि की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घर के द्वार पर नागों की आकृति भी बनाते हैं। इस बार नागपंचमी का त्योहार 25 जुलाई यानी शनिवार के दिन मनाया जाएगा।

नाग पंचमी पूजा सामग्री: नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति, लकड़ी की चौकी, जल, पुष्प, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत, लड्डू और मालपुए, सूत्र, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, धूप-दीप, ऋतु फल, पान का पत्ता दूध, कुशा, गंध, धान, लावा, गाय का गोबर, घी, खीर और फल आदि।

नाग पंचमी पूजा विधि: इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई और चावल बना लें। अब लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर नागदेवता की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं। नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं और आरती करें। फ‍िर लड्डू और खीर अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। इस दिन सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।

नाग पंचमी की पूजा के मंत्र:

– “ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”

– सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।

– ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:


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