मिथिला हिन्दी न्यूज शाहपुर पटोरी:जी एम आर डी कॉलेज, मोहनपुर के दर्शनशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय दर्शन में पर्यावरणीय नीतिशास्त्र के विभिन्न आयाम विषय पर मंगलवार को वेबीनार आयोजित की गई। अध्यक्षता सह संचालन प्रधानाचार्य डॉ घनश्याम राय ने करते हुए सभी अतिथियों, श्रौतविदों,सहयोगियों, भागीदारों, छात्र, छात्राओं, कॉलेज कर्मियों का स्वागत किया। नव नालंदा महाविहार, डीम्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ बुद्वदेवभट्टाचार्या ने विषय प्रवेश कराते हुए आज के संदर्भ में पर्यावरणीय नीतिशास्त्र के महत्व को बतलाया। प्रोफेसर अमरनाथ झा,पूर्व विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि स्वअध्याय जरूरी है। अंत:करण की शुद्धिकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम अनादिकाल से ही वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर चलते आ रहे हैं। कहा कि पर्यावरण के विविध स्वरुपों की पूजा होती है। पर्यावरण का सीधा संबंध प्रकृति से है। ऐसे सभी कार्य जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है,वे नैतिक दृष्टि से निषिद्ध एवं अनुचित कार्य है। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में डॉ आर के चौधरी, प्रोफेसर वकील कुमार, डॉ रूना आनंद, डॉ रीता सिंह, डॉ सरिता कुमारी, डॉ अलाउद्दीन अजीज, दीपक कुमार ने सवाल पूछे जिसका जबाव दोंनो मुख्य वक्ताओं ने दिया। वेबीनार को दर्शनशास्त्र विभाग,समस्तीपुर के विभागाध्यक्ष डॉ सत्येन, एच एस पी कॉलेज, मधेपुर के प्रभारी प्रधानाचार्य सह दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ उमेश कुमार चौधरी, जे एन कॉलेज, नेहरा के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ अमरनाथ प्रसाद, डॉ एल के भी डी कॉलेज, ताजपुर के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ फरजाना बानो आजमी, एम आर एम कॉलेज, दरभंगा के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शिखरवासिनी ने भी संबोधित किया। वेबीनार में अश्विनी कृति, मोनालिसा, अनामिका सोनी, सुमन कटारिया, रामागर प्रसाद, स्वाति राय, अफशां बानो,अनिल कुमार कर्ण, संजीत लाल,डॉ दीप शिखा पांडेय, डॉ हरिश्चंद्र, डॉ बिपिन मेहता,अवधेश मिश्रा, एक सौ से अधिक भागीदार लगातार ढ़ाई घंटे तक चले कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
अध्यक्षीय भाषण करते हुए प्रधानाचार्य डॉ राय ने कहा कि दर्शनशास्त्र ज्ञान की प्रथम विद्या है। दर्शनशास्त्र मूलतः तर्कों पर आधारित है। भारतीय दर्शन में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। इसप्रकार पर्यावरणीय-नीतिशास्त्र के अन्तर्गत प्राकृतिक संसाधनों व घटकों का संरक्षण सद्गुण और नैतिक कार्य है। ऐसे सभी कार्य जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वे नैतिक दृष्टि से निषिद्ध एवं अनुचित माना गया है। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर दिनेश प्रसाद ने दिया। राष्ट्र गान के साथ वेबीनार समाप्त की घोषणा की गई।