मिथिला हिन्दी न्यूज :-शनि को खुश करने के लिए शनि वैदिक मंत्र ‘ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:’ का जाप करें।
सावन का शनिवार शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए फलदायी बताया गया है। हर व्यक्ति पर कभी न कभी शनि की दशा जरूर आती है। हर तीस साल में शनि सभी राशियों में अपना भ्रमण चक्र पूरा करते हैं। इस तरह से शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। साल 2020 में 24 जनवरी से शनि मकर राशि में गोचर हैं। धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है तो वहीं मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। जानिए सावन शनिवार के खास उपाय जो शनि दोषों से दिला सकते हैं मुक्ति।
स्कंदपुराण के अनुसार श्रावण मास के शनिवार को नृसिंह भगवान, शनिदेव, हनुमान जी के साथ महादेव शिव शंकर की पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में दोनों प्रदोष पर शनिवार होने के कारण शनि प्रदोष व्रत पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा।
स्कंद पुराण के अनुसार श्रावण के शनिवार रुद्रमंत्र के द्वारा तेल से हनुमान जी का अभिषेक करना चाहिए। तेल में मिश्रित सिंदूर का लेप उन्हें लगाएं। इससे शनि दोष से राहत मिलती है।
तिल के तेल या सरसों के तेल से शनि भगवान का अभिषेक करना चाहिए। ज्योतिष अनुसार जो भी श्रावण के महीने में भगवान शिव के साथ शनि की उपासना करता है उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं। भगवान शिव के अवतार पिप्पलाद, भैरव तथा रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा से शनि ग्रह मजबूत होता है।
महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप श्रावण शनिवार से आरंभ करना शुभ माना जाता है। जो लोग खुद जप नहीं कर सकते वो किसी विद्वान ब्राह्मण से जप कराते हैं। जप ख़त्म होने के बाद रुद्र यज्ञ के साथ सात तरह के अनाज का दान करें। ऐसा करने से जीवन में आ रहे कष्ट दूर हो जाते हैं।
प्रत्येक शनिवार को 11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया दशरथ स्तोत्र का पाठ करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि शनि महाराज ने स्वयं दशरथ जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति आपके द्वारा लिखे गये स्तोत्र का पाठ करेगा उसे मेरी दशा के दौरान कष्ट का सामना नहीं करना होगा।
नोट- कोई भी धर्म कार्य निष्ठा और पूर्ण विश्वास से करने पर निश्चित सकारात्मकता की आशा किया जा सकता है।