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खुद को मेहनत और संघर्ष के दम पर स्थापित करने वाले डॉ•राजीव कुमार सिंह

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-बोरींग रोड स्थित साई हेल्थ वेलनेस केअर सेन्टर अस्पताल को देख कर लगता है, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण ये हॉस्पिटल शायद इस प्रदेश में सबसे अच्छी सुविधा मुहैया करा रहा। अंदर जाने पर हमें उस शख्शियत से मुलाकात हुई जो आज प्रदेश में अपनी उत्तम चिकित्सा के लिए जाने जाते हैं, "डॉ•राजीव कुमार सिंह" से।

जब हमने डॉक्टर साहब से उनके शुरुवात के संघर्ष की चर्चा की, तो उनकी आंखों में हमे हर वो संघर्ष दिखा, हर वो दर्द दिखा और मेहनत के दम पर आगे बढ़ने का जज्बा दिखा, जिनके सहारे आज ये नाम प्रदेश के सबसे चर्चित नामों में एक है।
     डॉ•राजीव कहते हैं, पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रैक्टिस इतना आसान नही था, गावँ के परिवेश से निकल कर दिल्ली मुम्बई में संघर्ष से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी क्लिनिक की शुरुवात आसान नही थी। महंगी मशीनें, लोगो मे फिजियोथेरेपी को लेकर कम जानकारी हर तरह की परेशानी से संघर्ष शुरू हुआ। पर आर्मी में रहे बाबूजी ने एक ही शिक्षा दी थी, की कभी हारना नही है, कहि आखिरी सांस के पहले ही जीत मिल जाये या मौत आये भी शुकुन से आये की चलो लड़ते हुए मरे हैं, बैठ कर हार कर नही। तो बाबूजी के द्वारा दी गई सिख, माँ के आशीर्वाद ने हर वो शक्ति दी जिसकी जरूरत उस दौर में मुझे थी। मुझे याद है हम फिजियोथेरेपी की बात करते थे तो लोग सुनते नहीं थे, शायद हमारे देश के लोग तब इसे अपनाने को तैयार ही नही थे। तब मैंने फैसला किया कि जो हो ये लड़ाई चलेगी, जब दुनिया भर के लोग इसकी मदद के खुद को फिट रख सकते हैं, सर्जरी से दुर रह सकते हैं तो ऐसा यहां क्यों नही हो सकता? हमारे यहां के लोगो को इसका लाभ क्यों नही मिल सकता। फिर शुरू हुआ निशुल्क कैम्प के आयोजन का दौर जिसमे अब तक 100 से ज्यादा कैम्प का आयोजन किया जा चुका है, और अब कैम्प में ऐसी हालत हों जाति है की सबका उपचार भी नही हो पाता, लोग जैसे फिजियोथेरेपी को अपना चुके है अब। पिछले 12,13 वर्षो के संघर्ष ने दृश्य को बदल दिया है अब लोग सर्जरी के बदले फिजियो पर ध्यान दे रहें हैं।"

डॉ•राजीव से चर्चा के दौरान हमारी निगाह उनके चैम्बर में टँगे अवार्ड्स, फोटोग्राफ्स पर जाती है, हमारा ध्यान उस तरफ खिंचा चला जाता है और अनायास ही हम उनसे पूछ बैठते है, डॉक्टर साहब इतने अवार्ड्स!! कैसा लगता है आज आपको?? 
डॉक्टर राजीव एक लंबी सांस के बाद कहते हैं, ये अवार्ड्स मेरे संघर्ष के परिचायक हैं, बेस्ट फिजियो का अवार्ड हो, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, राजनेताओं, संस्थाओ से प्राप्त अवार्ड हो ये सब बहुत खास हैं, यही वो सीढ़ी थे जो बताते रहें, की हा तुम सही जा रहे हो।

चैम्बर से निकलते ही आधुनिक मशीनों से युक्त रूम्स में जाते हैं, हम पूछते हैं इतने मशीन, तो राजीव जी कहते हैं, "हा, दौर बदल चुका है अब दर्द निवारण को नई नई मशीन, तकनीक आ गए हैं, और हम हर उस नई तकनीक का बिहार में उपयोग कर रहें जो बड़े बड़े महानगरों में किया जा रहा है।

ये सब देख कर हमें भी लगने लगा, हा, फिजियो के माध्यम से निश्चित ही डॉ राजीव में बिहार की चिकित्सा में एक बड़ा परिवर्तन लाया है, तब ही वो प्रदेश के बेस्ट डॉक्टर बन कर उभर सके हैं।

हॉस्पिटल के बालकनी में आते हैं, आंखे दीवारों पर टिक जाती हैं, गोविंदा, धोनी, कोहली, आदित्य पंचोली, शुशील मोदी, अनिल कुंबले, ओम पुरी, सैफ अली खान.. अनेक जानी मानी हस्तियों के इलाज करते डॉक्टर राजीव की तस्वीरों ने हमारे कदमो को वही रोक दिया। हमने पूछा डॉक्टर साहब अब इन सितारों को भी आपकी बहुत जरूरत होती है।

डॉक्टर साहब हस्ते हुए जवाब देते हैं, "इन्हें ही हमारी ज्यादा जरूरत होती है, क्यों कि ये फिट रहना चाहते हैं, इन्हें बहुत काम करना होता है, और फिजियो ही सबसे अच्छा तरीका है दर्द और चोट से बचने का, फिट रहने का, यही बात तक अब आम लोग भी समझने लगे हैं, और आज लोग सर्जरी से दूर फिजियो में ही इलाज तलास रहें हैं।"


नीचे की तरफ बढ़ते हम डॉक्टर साहब से पूछते हैं, "अब जब आप सफलता के परिचायक बन गये हैं, आगे क्या प्लान हैं?

डॉ राजीव कहते हैं, अभी तो आधा कार्य भी नही हुआ है, "दर्द मुक्त बिहार" का सपना है मेरा, इसको पूरा करना है, "हर जन हर घर" तक जागरूकता फैलाना है, और प्रदेश में ऐसी चिकित्सा व्यवस्था करनी है कि हमारे यह के लोगो को बाहर न जाना पड़े किसी रोग के इलाज के लिए

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