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रूढ़िवादी परंपरा को खात्मा के लिए महिलाओं ने दिया अर्थी को दिया कांधा



आलोक वर्मा
नवादा : समरस समाज में महिलाओं को जहां एक ओर बराबरी का अधिकार वहां उन्हें अपने परिजनों को अर्थी को कांधा देना एवं श्मशान घाट तक जाने पर प्रतिबंध क्यों ? यह रूढ़िवादी परंपरा है जिसमें महिलाओं के साथ भेदभाव और अत्याचार होता है । इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर ता से दूर रखा जाता है । उक्त बातें भाकपा माले नेता भोला पासवान ने कही ।

बुधवार को कम्युनिस्ट नेता स्व.अखिलेश्वर यादव की पत्नि रामवती देवी की मरणोपरांत उनकी अर्थी को कंधा उनके पौत्रियों एवं घर के अन्य महिलाओं ने दिया । यह दृश्य नवादा में 8 जुलाई को देखने को मिला जब कम्युनिस्ट नेता व पुर्व जिला परिषद सदस्य स्व.अखिलेश्वर यादव का 98 वर्षीय पत्नि रामवती देवी की कल रात निधन हो गया । कम्युनिस्ट नेता भोला राम ने कहा सामंती समाज में बेटा ही अर्थी को कंधा देता है , परंतु रूढिवादी समाज को धता बताते हुए बेटियो ने कमर कस अपनी दादी की अर्थी को कंधे पर रख शमशान घाट पहुंचाया । जिसमें क्रमशः प्रियंका कुमारी ,प्रीतम कुमारी , प्रीति कुमारी बेटी आलो देवी शामिल है । जबकि मुखाग्नि पुत्र एडवोकेट सुरेन्द्र कु प्रसाद ने दी । उन्होंने कहा जब बेटा और बेटियों को समानता का अधिकार है तो बेटियों को श्राद्धकर्म के इन कार्यों से दूर रखने को क्या औचित्य ? उन्होंने कहा महादलित और पिछड़े वर्ग के लोग ब्राह्मणवादी व्यवस्था को शोषण का तंत्र बताते हुए इससे लोगों को जागरूक होने की अपील किया । इस मौके पर एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजली दी गई ।इस अवसर पर भाकपा माले के काॅ. अजीत कुमार मेहता ,रामु यादव अरूण कुमार समेत बङी संख्या मे लोग गमगीण आंखों से विदाई दी।

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