मिथिला हिन्दी न्यूज :-पूरे देश में सावन के महीने को एक त्योहार की तरह मनाया जाता है और इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं. भगवान शिव की पूजा करने का सबसे उत्तम महीना होता है सावन लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन के महीने का इतना महत्व क्यों है और भगवान शिव को यह महीना क्यों प्रिय है? आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यताओं के बारे में...
■सावन मास का महत्व...
श्रावण मास हिंदी कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता हैं और इस ऋतु में वर्षा का प्रारंभ होता हैं. शिव जो को श्रावण का देवता कहा जाता हैं उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं. पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं. भारत देश में पूरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं.
◆मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर व्रत रखा था
हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार, सावन मास में आने वाले हर सोमवार के दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करके कोई भी व्यक्ति, भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है. माना जाता है कि ये माह भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होता है. इस संदर्भ में आपको कई पौराणिक कथाएं भी सुनने को मिल जाएंगी. इन्हीं पौराणिक कथाओं में से एक कथा जो सबसे ज्यादा प्रचलित है, उसके अनुसार सावन मास में ही मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए निराहार रहकर कई वर्षों तक कठोर व्रत किया था. फिर मां पार्वती की उसी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए उनसे विवाह किया था. इसलिए भी इस महीने पड़ने वाले प्रत्येक सावन सोमवार के दिन, भगवान शिव के समान पति की प्राप्ति हेतु, कुंवारी कन्याये व्रत रखती हैं.