अपराध के खबरें

अनंत चतुर्दशी 2020: जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि

पंकज झा शास्त्री 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-भाद्र पद मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर 2020 मंगलवार को है।
 दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चततुर्दशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु, यमुना नदी और शेषनाग जी की पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत मनुष्य को जीवन के सभी कष्टों से बाहर निकलता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी व्रत के नियमों का पालन किए बिना आप इसे पूर्ण नहीं कर सकते हैं और न हीं इसके शुभफलों को प्राप्त कर सकते है। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से पहले आपको इस व्रत के नियम अवश्य ही जान लेनी चाहिए ।
>इस दिन भगवान विष्णु, माता यमुना और शेषनाग जी की पूजा की जाती है, इसलिए इनकी पूजा अवश्य करें।
> अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ कलश के रूप में माता यमुना और दूर्वा के रूप में शेषनाग जी को स्थापित करें
> इस दिन अनंत सूत्र भी धारण किया जाता है, इसलिए पूजा के समय 14 गांठों वाला अनंत धागा भगवान विष्णु के चरणों में अवश्य रखें, इसके बाद ही इसे धारण करें
>अगर आपने अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत किया है तो आपको अनंत धागे को साल भर अवश्य बांधना चाहिए, यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो कम से कम 14 दिन तक जरूर बांधे।

अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
01 सितंबर की सुबह 05 बजकर 44 से दिन के 08 बजकर 53 मिनट तक।

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई. यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी. इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे. इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है. धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है. भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती है।

 नोट - अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार उपरोक्त समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।

आवश्यक सूचना - ज्योतिष,हस्तलिखित जन्मकुंडली,वास्तु, पुजा पाठ, महामृत्युंज जाप एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए संपर्क कर सकते हैं।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live