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अजीब है सरकार 30 सालों में बिहार को बाढ़ से मुक्त नहीं हुआ पुरी खबर पढ़ कर आप होंगे आगबबूला

संवाद 

मिथिला हिन्दी न्यूज :-देश के सबसे प्रमुख बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में बिहार का नाम लिया जाता है। उत्तर बिहार की करीब 76 फीसदी आबादी तकरीबन हर साल बाढ़ का दंश झेलती है। देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में से 16.5 फीसदी बिहार में है और देश की कुल बाढ़-प्रभावित आबादी में से 22.1 फीसदी बिहारी है।सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण, सहरसा , सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिलों में बाढ़ है।बिहार में बाढ़ की विभीषिका विकराल रूप ले रही है। बाढ़ की वजह से कई गाँवों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। बहुत सारे ज्यादा लोगों की मृत्यु की पुष्टि सरकार ने की है। न जाने कितनों की जानकारी ही नहीं है। पिछले हफ्ते जारी सूचना के अनुसार, आकाशीय बिजली गिरने से बिहार के अलग-अलग जिलों में कई लोगों की मौत हुई है। करीब 50 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। विडम्बना है कि 30 सालों तक हम कुछ नहीं किए लालू प्रसाद यादव का सरकार को भी लोगों ने देखा नीतीश सरकार को लोगों ने देखा और बाढ़ को भी लोग देख रहे हैं मन में गुस्सा है पर क्या करें बिहार है इस समय भी राजनीति का बाढ़ है उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी रोज लालू प्रसाद के फॅमिली पर आर्टिकल पर आर्टिकल लिख रहे और बात करें विपक्ष की तो लालू प्रसाद यादव तो जेल में हैं विपक्ष की अवाज भी जेल में बंद हो गया है।कई लोग गुस्सा के मारे फेसबुक पर गुस्सा में लिख रहे हैं अमित रंजन ने भी कुछ गुस्सा जाहिर करते हुए "बिहार में बहार है" नहीं गलत पढ़ा आपने बिहार तो अभी कोरोना और बाढ़ के प्रकोप से बीमार है। बाढ़ के कारण जान और माल की छति पहली बार नहीं है जब से बिहार राज्य का गठन हुआ है तब से यही स्थिति है। आजादी तो मिल गई लेकिन आजाद हिंदुस्तान में बिहार के लोगो को बाढ़ से बचाया नहीं जा सका। हरेक साल मंत्री जी का भाषण होता है कुर्सी मिलती है और वादे अगले चुनाव के लिए बांध पे छोर दिए जाते है। अगर बिहार में बाढ़ से स्थिति खराब है तो इसके जिम्मेदार कोई नेता या मंत्री नहीं है बल्कि खुद जनता है जो जात और धर्म पे वोट देना जानती है उसके बाद लोगो को खुद पता नहीं होता हमारा विधायक या मंत्री कौन है। अभी भी समय है अगर आप आने वाली पीढ़ी को बाढ़ से बचना चाहते हैं तो सरकार पर दबाव बनाये मजबूत बांध एवं नदियों को जोड़ने की परियोजना लाने के लिए अन्यथा हमेसा यहीं होगा बाढ़ में आप डूबेंगे और नेता जी मलहम लगाएंगे सिर्फ वादों का।

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