मिथिला हिन्दी न्यूज :-में विश्वास करने वाले लोग अकसर एक बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि अपने जीवन के बारे में जानने के लिए जन्म राशि देंखे या नाम राशि। ज्योतिष शास्त्र में लोगों की इस समस्या का समाधान दिया गया है। हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के साथ ही उसकी कुंडली भी तैयार कर दी जाती है। और फिर उसी कुंडली के अनुसार ज्योतिषी सलाह से बच्चे का नाम रखा जाता है। लेकिन कुछ लोग जन्म कुंडली के नाम से अपने बच्चे का नाम रखना अच्छा नहीं मानते हैं। जिस कारण लगभग हर व्यक्ति की दो राशियां हो जाती है, एक वो जो उसके जन्म से जुड़ी है और दूसरी वह जो उसके बुलाने के नाम के अनुसार हो जाती है।
विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु।
जन्म राशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्।।
ज्योतिष शास्त्र के इस श्लोक का अर्थ है कि विद्या आरंभ करते समय, विवाह के समय, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों में जन्म राशि को देखा जाता है। जब्कि दैनिक राशिफल के लिए आप नाम राशि का प्रयोग कर सकते हैं। यहां ये भी जानना जरूरी है कि दोनों राशियों में क्या अंतर होता है। जन्म के समय जिस बच्चे का जिस नक्षत्र में जन्म होता है उसके अनुसार रखे जाने वाले नाम से जो राशि बनती है उसे जन्म राशि कहा जाता है। और जो नाम अपनी इच्छा से बुलाने का रखा जाता है उस नाम के पहले अक्षर से जो राशि बनती है उसे नाम राशि कहा जाता है।
दोनों ही राशियों का ज्योतिष की दृष्टि से अगल-अलग कार्यों में महत्व होता है। जैसे जन्म राशि का प्रयोग विवाह, संपूर्ण मांगलिक कार्य, यात्रा और ग्रहों की युक्ति आदि कार्यों के लिए किया जाता है। जब्कि नाम राशि का प्रयोग जहां आप अपने नाम के कारण प्रचलित होते हैं जैसे देश, ग्राम, युद्ध में, नौकरी में और व्यापार इत्यादि कार्यों में किया जाता है। इन सभी कामों में जन्म राशि की कोई भूमिका नहीं रहती है। अगर जन्म राशि की जानकारी नहीं हो सिर्फ उसी स्थिति में आप अपनी नाम राशि का सभी कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं।